बिहार का एक गाँव जहाँ मुस्लिम तो एक भी नहीं लेकिन हर रोज़ होती है पाँचों वक़्त की अज़ान, जानें इस सेक्यूलर गाँव की क्या है कहानी- A village where Hindus look after Mosque

  • बिहार का एक गाँव जहाँ मुस्लिम तो एक भी नहीं लेकिन हर रोज़ होती है पाँचों वक़्त की अज़ान, जानें इस सेक्यूलर गाँव की क्या है कहानी- A village where Hindus look after Mosque

नालन्दा : 27 अप्रैल-2022
A village where Hindus look after Mosque- देश में इन दिनों जहाँ आज धार्मिक स्थलों विशेषकर मस्जिदों के लाउडस्पीकर का मामला काफ़ी गरमाया हुआ है। वहीं इसी बीच बिहार राज्य के एक गाँव से ऐसी ख़बर निकलकर सामने आयी है जिसे जानकर देश की उस गंगा जमुनी तहज़ीब की याद आती है जो कुछ समय पूर्व तक भारत की साम्प्रदायिक सौहार्द की एक बड़ी विशेषता कही जाती थी। हालाँकि भारत से प्यार करने वाले सेक्युलर लोगों की नज़रों में आज भी भारत की अनेकता में एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द की विशेषता को ही भारत की आत्मा मानते हैं। (A village where Hindus look after Mosque )

दरअसल बिहार के नालन्दा ज़िले के बेन विकासखण्ड के माड़ी गाँव में यूँ तो एक भी मु​सलमान नहीं रहता लेकिन यहाँ स्थित मस्जिद में हर रोज़ पाँचों वक़्त की अज़ान ज़रूर होती है। लेकिन अब शायद ज़हन में यह प्रश्न ज़रूर उठ रहा होगा कि जब यहाँ एक भी मुसलमान नहीं है तो अज़ान कौन पढ़ता है? लेकिन इसका जवाब मिलने के बाद आप भी हैरान रह जायेंगे। (A village where Hindus look after Mosque ) Desh Duniya Today अब कुटुम्ब ऐप पर भी, ऐसी ही हर न्यूज़ अपडेट तुरन्त अपने फ़ोन में पाने के लिए यहाँ क्लिक करें।

आपको बता दें कि नालन्दा ज़िले के इस माड़ी गाँव मे कुछ ऐसे हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं जो हमेशा मस्जिद की साफ़-सफ़ाई से लेकर हर ख़ुशी के मौक़ों पर यें हिन्दू लोग मस्जिद के बाहर मत्था तक टेकते हैं। और शादी,विवाह और धार्मिक पर्वों के अवसर पर यें ही लोग अपनी हैसियत के अनुसार मस्जिद में इमदाद भी करते हैं और पर्व भी मनाते हैं। (A village where Hindus look after Mosque )

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स्थानीय लोगों के अनुसार बताया जाता है कि कुछ समय पूर्व तक यहाँ कुछ मुस्लिम परिवार रहते थे लेकिन कालातीत में धीरे-धीरे यें मुस्लिम परिवार पलायन कर गये। लेकिन जब मुस्लिमों के पलायन के बाद मस्जिद ग़ैर आबाद होने लगी तो यहाँ के हिन्दू परिवारों ने धर्म का सम्मान करते हुए इस मस्जिद की देख-रेख करने का ज़िम्मा अपने सर ले लिया। (A village where Hindus look after Mosque )

हालांकि इस मस्जिद का निर्माण कब और किसने कराया था? यह मौजूदा स्थानीय लोग भी सही से नहीं बता पाते। अब सबसे बड़ा यह रह जाता है कि जब इस गाँव में एक भी मुस्लिम परिवार अथवा एक भी मुस्लिम नहीं रहता तो मस्जिद में अज़ान कौन देता है? तो आपको बता दें कि इन साम्प्रदायिक सौहार्द प्रेमी हिन्दुओं ने मजबूरी में इसका एक तोड़ निकाल लिया था। (A village where Hindus look after Mosque )

दरअसल इन लोगों ने अज़ान की आवाज़ को कैसेट में रिकॉर्ड करके ही मस्जिद में चलाना शुरु कर दिया था। और जैसे-जैसे वक़्त के साथ तकनीक बदलती गई तो वैसे ही इन लोगों ने अज़ान की आवाज़ को नई टेक्नोलॉजी के डिवाइस में सुरक्षित रख लिया। आज यहाँ अज़ान की आवाज़ एक पेन ड्राइव में उपलब्ध है। और जब भी अज़ान का समय होता है तो ये लोग लाउडस्पीकर में अज़ान प्ले कर देते हैं। (A village where Hindus look after Mosque )

Farhad Pundir,Farmat

रिपोर्ट : फ़रहाद पुण्डीर (फ़रमात)

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