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एक नेता जो बनाना चाहते हैं 100 बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड, अब तक हार चुके हैं 93 चुनाव-Hasnuram Ambedkari

एक नेता जो बनाना चाहते हैं 100 बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड, अब तक हार चुके हैं 93 चुनाव-Hasnuram Ambedkari

आगरा:
एक तरफ़ जहाँ प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए चुनावी समर में ख़ूब जी तोड़ मेहनत करते हैं, यहाँ तक कि वोटों के लिए जनता के सामने हाथ जोड़ते हैं और कई बार तो प्रत्याशी नाराज़ जनता के सामने इलेक्शन के दौरान अपना सिर तक झुका देते हैं। वहीं इसके विपरीत भारत के उत्तर प्रदेश में एक नेता ऐसे भी हैं जो चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि चुनाव हारने के लिए इलेक्शन में खड़े होते हैं। और अभी तक 93 इलेक्शन हार चुके हैं।Agra Hasnuram Ambedkari

यह दिलचश्प ख़बर है उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद की खेरागढ़ विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी 74 वर्षीय हसनुराम अंबेडकरी की जो इस बार विधानसभा चुनाव-2022 में अपना 94वां चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उन्होंने हर बार की तरह इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया है। यहाँ दिलचस्प बात यह है कि इस प्रत्याशी हसनुराम अंबेडकरी की इच्छा है कि वह 100 बार चुनाव हारने का एक रिकॉर्ड बनाये, जबकि अभी तक वे 93 बार चुनाव हार चुके हैं।Agra Hasnuram Ambedkari

हसनुराम अम्बेडकरी जो स्वर्गीय काशीराम द्वारा स्थापित अखिल भारतीय पिछड़ा एंव अल्पसंख्यक समुदाय कर्मचारी फेडरेशन (बामसेफ) के एक सदस्य हैं उनका कहना है कि उन्होंने डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की विचारधारा पर चलते हुए चुनाव लड़ते आ रहे हैं। वह वे वर्ष-1985 से लगातार लोकसभा, विधानसभा,पंचायत चुनाव सहित अन्य विभिन्न निकायों के लिए चुनाव लड़ते आ रहे हैं लेकिन आज तक उन्हें कोई सफ़लता नहीं मिली है। यहाँ तक कि कहा जाता है उन्होंने वर्ष-1988 में भारत के राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन किया था लेकिन वह नामांकन ख़ारिज हो गया था।Agra Hasnuram Ambedkari

हसनुराम अम्बेडकरी बताते हैं कि वह एक खेतिहर मजदूर हैं और उनके पास मनरेगा जॉबकार्ड है। हालांकि उन्होंने कभी औपचारिक स्कूली शिक्षा तो प्राप्त नहीं की लेकिन वे हिन्दी, उर्दू और इंग्लिश पढ़ लिख सकते हैं। चुनाव लड़ने के संबंध में उनका कहना है कि “मैं सिर्फ़ हारने के लिए ही चुनाव लड़ता हूँ और मैं 100 बार चुनाव हारने का एक रिकॉर्ड बनाना चाहता हूँ… मुझे परवाह नहीं है कि मेरे विरोधी कौन हैं, क्योंकि मैं अम्बेडकर जी की विचारधारा के तौर पर मतदाताओं को एक विकल्प देने के लिए चुनाव लड़ता हूँ।”Agra Hasnuram Ambedkari

हसनुराम अम्बेडकरी ने वर्ष-2019 का लोकसभा चुनाव आगरा और फ़तेहपुर सीकरी लोकसभा सीटों से लड़ा था लेकिन वे अपनी ज़मानत भी नहीं बचा पाए थे। हसनुराम अम्बेडकरी ने वर्ष-1989 के लोकसभा चुनाव में फ़िरोज़ाबाद सीट से सब से अधिक 36,000 वोट प्राप्त किए थे। इस बार भी हसनुराम अम्बेडकरी ने अपनी पत्नी व समर्थकों के साथ घर -घर जाकर प्रचार करना आरम्भ कर दिया है। उनका कहना है कि “मेरा एजेंडा सदैव निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त विकास और समाज के वंचित वर्ग के लोगों का कल्याण करना है।”Agra Hasnuram Ambedkari

हसनुराम अम्बेडकरी ने कुछ वक़्त के लिए बहुजन समाज पार्टी के सदस्य के रूप में भी काम किया है। हसानुराम अम्बेडकरी ने बताया “मैं बामसेफ का एक समर्पित कार्यकर्ता था, और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की जड़ें मज़बूत करने के लिए पार्टी के लिए बहुत काम किया है। लेकिन मैंने जब वर्ष-1985 में टिकट माँगा था तो मेरा मज़ाक उड़ाया गया कि “मेरी पत्नी भी मुझे वोट नहीं देगी.. इस बात से मुझे बहुत निराशा हुई और तब ही से मैं हर चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ता आ रहा हूँ।

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