
पंजाब के अजनाला में कुएं से बरामद मानव कंकालों का 160 वर्ष पुराने रहस्य से पर्दा उठा, जानें क्या है यह मामला? Ajnala Skeleton,News In Hindi
अजनाला: 30 अप्रैल-2022
Ajnala Skeleton- पंजाब के गाँव अजनाला (Ajnala) के एक कुँए में से बड़े पैमाने पर मिले मानव कंकाल का रहस्य सुलझ गया है। CCMB (सेंटर फॉर सेल्युलर एण्ड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी) के वैज्ञानिकों ने पंजाब विश्वविद्यालय, बीरबल साहनी संस्थान लखनऊ और BHU (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) के शोधकर्ताओं के साथ अपनी रिसर्च में यह पाया कि अजनाला में एक नरसंहार हुआ था जिसके बाद ब्रिटिश शासकों ने इन भारतीय जवानों को मारकर इस कुँए में फेंक दिया गया था। (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
1. था इतिहासकारों ने?
वैज्ञानिकों ने अजनाला के पुराने कुँए से बरामद इन अवशेषों के DNA टेस्ट और आइसोटोप एनालिसिस के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि “यें 160 वर्ष पुराने मानव कंकाल गंगा किनारे रहने वाले लोगों के हैं।” जबकि कई इतिहासकार मानते आ रहे थे कि “यें मानव कंकाल भारत-पाकिस्तान के बँटवारे के दौरान दंगों में मारे गये लोगों के थे।” जबकि कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में इस बात का भी उल्लेख मिलता है कि यें कंकाल उन शहीद हुए भारतीय सैनिकों के हैं जिन्होंने वर्ष-1857 ई. में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध विद्रोह किया था।”
2. 2014 में निकाले गए थे कंकाल-
हालांकि, वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के कारण इन सैनिकों की पहचान और भौगोलिक उत्पत्ति पर लंबी बहस चलती रही है, लेकिन अब काफी कुछ साफ हो गया है। आपको बता दें कि पंजाब के अजनाला गाँव के कुएं से मानव कंकालों के अवशेष वर्ष-2014 में निकाले गये थे। (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
इन मानव कंकालों की हक़ीक़त का पता लगाने के लिये पंजाब विश्वविद्यालय के डॉक्टर जे.एस सेहरावत ने CCMB (सेंटर फॉर सेल्युलर एण्ड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी) हैदराबाद, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ और BHU (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर अवशेषों का DNA और आइसोटोप अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में हड्डियों, खोपड़ियों और दाँतों के DN टेस्ट से इस बात की पुष्टि हुई है कि येँ सभी मरने वाले उत्तर भारतीय मूल के लोग थे।
3. ऐसे आयी सच्चाई सामने-
इस शोध/अध्ययन में 50 सैंपल DNA और 85 सैंपल आइसोटोप एनालिसिस के प्रयोग किये गये। DNA विश्लेषण से लोगों के अनुवांशिक सम्बन्ध को समझने में सहायता मिलती है जबकि आइसोटोप एनालिसिस से भोजन की आदतों की जानकारी मिलती है। इन दोनों ही विधियों ने इस बात का समर्थन किया कि कुँए में मिले मानव कंकाल पंजाब या पाकिस्तान के रहने वालों के लोगों के नहीं थे बल्कि DNA सीक्वेंस उत्तर प्रदेश, बिहार तथा पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ मेल खाते हैं। (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
4. नतीज़ा ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर ही निकल-
डॉ के. थंगराज, मुख्य वैज्ञानिक, सीसीएमबी ने कहा कि शोध के परिणाम इतिहास को साक्ष्य अधारित तरीके से स्थापित करने में मदद करते हैं. यह अध्ययन ऐतिहासिक मिथकों की जांच में डीएनए आधारित तकनीक की उपयोगिता को दर्शाता है. वहीं, रिसर्च के प्रथम लेखक डॉ जे.एस सहरावत ने कहा कि शोध के परिणाम ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुरूप हैं कि 26 वीं नेटिव बंगाल इन्फैंट्री बटालियन में बंगाल, ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग शामिल थे।
इस टीम के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन डीएनए के विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज राय ने कहा कि “टीम द्वारा किये गये वैज्ञानिक शोध और इतिहास को अधिक साक्ष्य आधारित तरीक़े से देखने में मदद करते हैं।” DNA अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बीएचयू के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्ष भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ देंगे।” (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
इस संबंध में डॉक्टर के.थंगराज, मुख्य वैज्ञानिक, सी.सी.एम.बी ने कहा कि “शोध के परिणाम इतिहास को साक्ष्य अधारित तरीक़े से स्थापित करने में मदद करते हैं। औरर यह अध्ययन ऐतिहासिक मिथकों की जाँच-पड़ताल में DNA आधारित तक़नीक़ की उपयोगिता को दर्शाता है।” वहीं रिसर्च के प्रथम लेखक डॉक्टर जे.एस सहरावत ने कहा कि “शोध के परिणाम ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुरूप ही मीले हैं। इस 26-वीं नेटिव बंगाल इन्फैंट्री बटालियन में बंगाल, ओडिशा, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के लोग शामिल थे।
5. मियां मीर में तैनात थे सैनिक-
ऐतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक़ इस सेना की बटालियन को पाकिस्तान के ‘मियां मीर’ में तैनात किया गया था और उसके सैनिकों को ब्रिटिश हुक़ूमत के ख़िलाफ़ विद्रोह करने के चलते ही ब्रिटिश अधिकारियों ने मार डाला था। इतिहास के अनुसार ब्रिटिश सेना ने उन्हें अजनाला के पास पकड़ लिया था जिसके बाद उन्हें मौत के घाट उतारकर उनके शवों को कुएं में फेंक दिया था। (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
इस टीम के प्रमुख शोधकर्ता और प्राचीन DNA के विशेषज्ञ डॉक्टर नीरज राय ने कहा कि “अध्ययन टीम द्वारा किये गये वैज्ञानिक शोध इतिहास को अधिक साक्ष्य आधारित तरीक़े से देखने में मदद करते हैं।” DNA अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बीएचयू के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कि “अध्ययन के निष्कर्ष भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ देंगे। (Ajnala Skeleton,News In Hindi)
