Allahabad HC Campus Mosque Case: 3 महीने के भीतर हटा ली जाये इलाहाबाद हाइकोर्ट परिसर से मस्जिद, सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखते हुए दिया बड़ा निर्णय

Allahabad HC Campus Mosque Case: 3 महीने के भीतर हटा ली जाये इलाहाबाद हाइकोर्ट परिसर से मस्जिद, सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फ़ैसले को बरक़रार रखते हुए दिया बड़ा निर्णय

 

 

नई दिल्ली: Allahabad HC Campus Mosque Case: देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाइकोर्ट परिसर में स्थित प्राचीन मस्जिद पर एक बड़ा निर्णय सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में स्थित मस्जिद को सरकारी भूमि पर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीनों के भीतर मस्जिद हटाकर ज़मीन ख़ाली कराने का आदेश जारी किया है।Allahabad HC Campus Mosque Case

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को बरक़रार रखते हुए कहा कि “यह मस्जिद सरकारी भूमि पर बनायी गयी है। अब जब सरकार ने लीज़ ही समाप्त कर दी है तो ऐसी परिस्थिति में मस्जिद को 3 महीनों के भीतर हटाना ही होगा। अब सुप्रीम कोर्ट के ऐसे आदेश के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर से मस्जिद को हटाये जाने का पूरा ही रास्ता साफ़ हो गया है। (Allahabad HC Campus Mosque Case)

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष- 2017 में ‘मस्जिद उच्च न्यायालय’ नाम की इस पुरानी मस्जिद को हाईकोर्ट परिसर से हटाने का आदेश पारित किया था। लेकिन इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया। अब लगभग 6 वर्षों बाद देश की शीर्ष अदालत ‘सुप्रीम कोर्ट’ ने याचिकाकर्ताओं को इस मस्जिद को 3 महीनों के भीतर हटाने अथवा गिराये जाने का आदेश दे दिया है। (Allahabad HC Campus Mosque Case)

मस्जिद को वैकल्पिक ज़मीन आवंटन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को किसी नज़दीकी क्षेत्र में वैकल्पिक ज़मीन के आवंटन के लिये यूपी सरकार के प्रति अपील करने की अनुमति देते हुए कहा कि यदि आसपास के क्षेत्र में ऐसी ज़मीन ख़ाली हो जिसका वर्तमान या आने वाले समय में किसी सार्वजनिक उद्देश्य के लिये प्रयोग की संभावना न हो तो राज्य सरकार क़ानून के अनुरूप वैकल्पिक भूमि आवंटित कर सकती है। (Allahabad HC Campus Mosque Case)

‘मस्जिद उच्च न्यायालय वक़्फ़’ की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले की पैरवी करते हुए कहा कि “इलाहाबाद हाईकोर्ट की मौजूदा बिल्डिंग का निर्माण वर्ष-1861 ई. में किया गया था। और तभी से लगभग 162 वर्षों से यहाँ मुस्लिम अधिवक्ता, मुस्लिम क्लर्क, मुस्लिम मुवक्किल को हर शुक्रवार को परिसर के उत्तरी कोने पर बनी मस्जिद में नमाज़ अदा करते आ रहे हैं। (Allahabad HC Campus Mosque Case)

उन्होंने कहा कि “उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने यहाँ नमाज़ अदा करने के लिये परिसर के दक्षिण छोर पर एक दूसरी जगह दी। उस समय एक किसी एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट परिसर में सरकारी अनुदान वाली अपनी ज़मीन पर बनी निजी मस्जिद में नमाज़ अदा करने की जगह दे दी थी।इसके बाद वह निजी मस्जिद सार्वजनिक हो गयी।” (Allahabad HC Campus Mosque Case)
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