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AMU ने पाठ्यक्रम से खुद ही हटाये 2 इस्लामिक विद्वानों के विचार, यूनिवर्सिटी ने बताया इसका कारण

AMU ने पाठ्यक्रम से खुद ही हटाये 2 इस्लामिक विद्वानों के विचार, यूनिवर्सिटी ने बताया इसका कारण

उत्तर प्रदेश: AMU
देश के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान AMU (अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम से 20 वीं सदी के 2 प्रमुख इस्लामिक विद्वानों अबुल आला मौदूदी व सैयद क़ुतुब के विचारों को खुद ही हटाने का निर्णय लिया है। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी ने यह काम को विवादों से बचाने के लिये किया है।

मीडिया रिपोर्ट्स में अलीगढ़ विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा कि “AMU ने यह क़दम किसी भी प्रकार के उठने वाले अनावश्यक विवाद से बचने के लिये उठाया है।” आपको बता दें कि कुछ हिन्दुत्वादी विचारधारा के विद्वानों ने AMU में इस्लामिक विद्वानों अबुल आला मौदूदी व सैयद क़ुतुब के इस्लामिक विचारों को आपत्तिजनक बताते हुए इन्हें हटाने को लेकर पीएम नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था।

इस संबंध में AMU के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि “हमने इस प्रकरण पर उठे विवाद को और बढ़ने से रोकने के लिये यह क़दम उठाया है, लेकिन इसे शैक्षिक स्वतंत्रता के अतिक्रमण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये।” बता दें कि अबुल आला मौदूदी एक ऐसे भारतीय इस्लामिक विद्वान थे जो देश के पार्टीशन के समय पाकिस्तान चले गये थे। उनकी साहित्यिक कृतियों में से एक ‘तफ़हीम-उल-क़ुरआन’ भी शामिल है।

AMU

वहीं दूसरे जिस इस्लामिक विद्वान सैयद क़ुतुब के विचारों को AMU ने अपने पाठ्यक्रम से हटाया है। वे मिस्र देश के रहने वाले थे जो कि एक इस्लामिक विचारधारा के पैरोकार थे। उनकी सब से प्रसिद्ध साहित्यिक कृति ‘फ़ी जिलाल-अल-क़ुरआन’ है, जो कि पवित्र क़ुरआन पर बेस्ड है।
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