Children Exchange in Jaipur Hospital: जयपुर में अस्पताल की घोर लापरवाही का दंश झेल रहे हैं 2 नवजात हिन्दू-मुस्लिम बच्चे, पढ़िये क्या है पूरा मामला?
Children Exchange in Jaipur Hospital: जयपुर में अस्पताल की घोर लापरवाही का दंश झेल रहे हैं 2 नवजात हिन्दू-मुस्लिम बच्चे, पढ़िये क्या है पूरा मामला?
जयपुर: Children Exchange in Jaipur Hospital- राजस्थान के जयपुर के सरकारी हस्पताल की एक ऐसी घोर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसके चलते दो नवजात शिशु अपनी-अपनी माँ के आँचल को तरस रहे हैं। दरअसल यह मामला जयपुर के सांगानेरी गेट के सरकारी महिला अस्पताल का है, यहाँ 1 सितम्बर को दो प्रसूताओं ने एक ही लेबर रूम में एक ही समय पर बच्चों को जन्म दिया था।
दोनों ही महिलाएं पिछले कई दिनों से अपने-अपने बच्चों को दूध पिला रही थी, लेकिन तीसरे दिन हस्पताल की तरफ़ से चला कि यें महिलाएं पिछले तीन दिनों से जिन बच्चों को दूध पिला रहीं वें इनके गर्भ से पैदा हुए बच्चे नहीं हैं। हिन्दू महिला के पास मुस्लिम महिला का बच्चा है और मुस्लिम महिला के पास हिन्दू महिला का बच्चा है। यह बात सुनकर दोनों महिलाएं और उनके परिजन दंग रह गये। (Children Exchange in Jaipur Hospital)
इस बच्चों की अदला बदली की बात सामने आने के बाद रेशमा नाम की महिला और उसके परिजनों ने हस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया, और उसने दूसरे बच्चे को अपनाने से मना कर दिया। क्योंकि इसके पास जो बच्चा है वह लड़का है। मामला तूल पकड़ने के बाद मामला हल होने तक हस्पताल प्रशासन द्वारा दोनों बच्चों को 3 दिन पहले प्रसूताओं से बच्चे लेकर एन.आई.सी.यू में भर्ती किया गया है। (Children Exchange in Jaipur Hospital)

सांकेतिक छवि
हालांकि आज 3 दिन बीत जाने के बाद भी तक यह मामला सुलझ नहीं पाया है कि निशा का बच्चा कौन सा है और रेशमा का बच्चा कौन सा है? लेकिन इस घटनाक्रम के बीच तीन दिनों से हस्पताल की ग़लती का खामियाज़ा यें दो मासूम बच्चे अपनी-अपनी माँ के दूध और आँचल से दूर रहकर भुगत रहे हैं। अब हस्पताल में हुई इस लापरवाही पर अस्पताल प्रशासन की तरफ़ से एकजाँच कमेटी बनायी गयी है, जानकारी के मुताबिक़ अभी तक यह जाँच पूरी नहीं हुई है। (Children Exchange in Jaipur Hospital)
लेकिन यहाँ जिस प्रकार देखा जा रहा है कि लड़के को तो दोनों परिवार लेने को तैयार हैं, लेकिन बेटी को लेने के इनमें से कोई सा परिवार तैयार नहीं है। कुछ भी हो लेकिन इस घटना ने समाज में व्याप्त बेटी के प्रति कुंठित सोच को उजागर कर दिया है, कि आज भी हमारे देश में बेटियों को हीन भावना से ही देखा जा रहा है।
इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि सरकार चाहे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारों को जन-जन तक पहुँचाने के लिये कितना भी मेहनत कर ले, कितना भी पैसा ख़र्च कर ले लेकिन अभी तक समाज़ में बेटी को लेकर जो पुरानी धारणा चली आ रही है, वह जस की तस ही है। आज भी हमारा समाज लड़की की बजाये लड़के को ही प्राथमिकता देता है। (Children Exchange in Jaipur Hospital)
भले ही आज बेटियों ने समाज के हर क्षेत्र में कामयाबी का आकाश क्यों न छू लिया हो? जबकि अक्सर ये देखने आता है कि बेटी बेटों के मुक़ाबले माँ-बाप की सबसे वफ़ादार और और आज्ञाकारी औलाद होती है, लेकिन फ़िर भी अगर कोई माँ-बाप बेटियों के साथ ऐसा दोगलापन रवैया अथवा व्यवहार अपनाता है तो यह दुर्भाग्यवश बेटियों के साथ अन्याय है। (Children Exchange in Jaipur Hospital)
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