
क्या किसानों की सारी उपज हड़पने के लिये लगाये जा रहे हैं विद्युत मीटर? गुस्साये किसानों ने उखाड़े टयूबवेलों के मीटर- Farmers’ displeasure over electricity bills
मुज़फ़्फ़रनगर:
यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में ट्यूबवेलों के बिजली के बिल बहुत अधिक आने से किसानों में भारी आक्रोश है। यहाँ किसानों की नाराज़गी का आलम यह है कि आक्रोशित किसानों ने अपने खेतों के टयूबवेलों पर लगे विद्युत मीटरों को उखाड़कर बिजली घर में ले जाकर अधिकारियों को सौंप दिये है। (Farmers’ displeasure over electricity bills)
बता दें कि 2 दिन पहले मुज़फ़्फ़रनगर की बुढ़ाना तहसील के गाँव उमरपुर के लगभग 60-70 किसानों ने अपने खेतों पर लगे टयूबवेलों के बिजली के मीटरों को उखाड़कर ख़ानपुर बिजलीघर पर ले जाकर रख दिये। यहाँ नाराज़ किसानों ने विद्युत विभाग के ख़िलाफ़ ख़ूब हंगामा करते हुए 61 टयूबवेलों के विद्युत मीटरों को बिजलीघर पर मौजूद अधिकारियों को सौंप दिये। (Farmers’ displeasure over electricity bills)
आक्रोशित किसानों का कहना है कि उन्हें विद्युत विभाग की ओर से 5 हज़ार से लेकर 8 हज़ार रुपये तक का बिल
भेजा रहा है जो कि बहुत ज़्यादा है। इन किसानों का आरोप था कि “इनके यहाँ लगभग 60 किसानों के खेतों के टयूबवेलों पर लगभग 25 दिन पूर्व ही विद्युत मीटर लगाये गये थे। जिसके मात्र 15 दिनों बाद ही विद्युत विभाग की ओर से किसानों को 5 हज़ार रुपये से 8 हज़ार रुपये तक के बिल भेज दिये गये।” (Farmers’ displeasure over electricity bills)
किसानों का कहना है कि इस संबंध में बिजली विभाग के अधिकारियों से भी शिकायत भी की गई थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब थक हारकर पीड़ित किसानों ने अपने टयूबवेलों से इन विद्युत मीटरों को उखाड़कर बिजलीघर पर जाकर अधिकारियों के सामने रख दिये। किसानों का कहना है कि इतनी क़ीमत की तो उनकी फ़सल उपज भी नहीं बिकेगी जितना उनका बिजली का बिल आ रहा है। (Farmers’ displeasure over electricity bills)
इस संबंध में बुढ़ाना बिजली विभाग के SDO प्रशान्तकान्त ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि “अब तक जितने भी ट्यूबवेल के विद्युत कनेक्शन हुआ करते थे वे बिना विद्युत मीटर के हुआ करते थे। लेकिन अब विद्युत विभाग के उच्च अधिकारियों के अनुसार ट्यूबवेलों पर विद्युत मीटर लगने का कार्य किया जा रहा था। अब इन विद्युत उपभोक्ता किसानों के कम्प्यूटर जनरेटिड बिजली के बिल बनने शुरु हुए हैं। उनका कहना है कि विभाग द्वारा बिलों को ठीक करने का कार्य किया जा रहा था लेकिन इस बीच किसान आक्रोशित हो गये। (Farmers’ displeasure over electricity bills)
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