Gauhati High Court On Bulldozer: असम में बिना जाँच ही कथित आरोपियों के घरों को बुलडोज़र से ढहाये जाने पर भड़का हाईकोर्ट, चीफ जस्टिस ने कहा ‘ऐसे तो देश में कोई भी महफ़ूज़ नहीं रहेगा
गोवाहाटी: Gauhati High Court On Bulldozer-
देश में बुलडोज़र संस्कृति के आने के बाद अब शायद या तो शासन के मनमाने आदेशों के चलते या फ़िर पुलिस अधिकारियों के स्व विवेक के चलते क़ानून के पालन में विकार उत्पन्न हो चुका है इसीलिए तो अब जनता के साथ होने वाले पुलिसिया अन्याय के मामलों पर अदालतों अथवा जजों ने स्वतः ही संज्ञान लेना शुरु कर दिया है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है असम में। यहाँ नौगांव थाने पर आगजनी की एक घटना के मामले में 6 आरोपियों के घरों पर बिना जाँच और जाँच की इज़ाजत लिये ही बुलडोज़र की कार्यवाही की गयी थी। जिसके बाद गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते कहा है कि “अगर इसी प्रकार की पुलिस कार्यवाही जारी रही तो देश में कोई भी महफ़ूज़ नहीं रह पायेगा।” (Gauhati High Court On Bulldozer)
बता दें कि नौगांव में आगजनी के एक कथित आरोपी के घर पर बुलडोज़र चलाने की कार्यवाही नाराज़ होते हुए असम के गौहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आर.एम छाया ने यह टिप्पणी की है। न्यायधीश छाया ने कहा कि “पुलिस जाँच की आड़ में बिना अनुमति लिये किसी के घर पर इस प्रकार से बुलडोज़र नहीं चला सकती।”
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आर.एम छाया व जस्टिस सौमित्र सैकिया की बेंच ने इस बुलडोज़र की कार्यवाही पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि “किसी भी आपराधिक न्यायशास्त्र में यह दिखाओ कि जाँच के लिये पुलिस बिना किसी अनुमति अथवा आदेश के क्या किसी व्यक्ति के घर को उजाड़ सकती है?” (Gauhati High Court On Bulldozer)
हालांकि हाईकोर्ट में एस.पी के वकील ने यह दलील देने का प्रयास किया कि ‘पुलिस को ने आरोपी के घर की तलाशी लेने के लिये ज़िलाधिकारी से अनुमति ली थी, जिस पर गोवाहाटी हाईकोर्ट के न्यायाधीश आर.एम छाया ने कहा कि “अनुमति मात्र तलाशी हेतु थी न कि बुलडोज़र चलाने की।” (Gauhati High Court On Bulldozer)
न्यायधीश आर.एस छाया ने कहा कि “चाहे कितना भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी क्यूँ न हो, उसे क़ानून के दायरे में ही काम करना होता है, और यदि ऐसे ही मनमानी की जाती रही तो देश में कोई भी व्यक्ति सुरक्षित नहीं रहेगा।” (Gauhati High Court On Bulldozer)
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