Gujarat Naroda Village Riot: गुजरात दंगों के नरोदा गाँव दंगे के 11 मौतों के 69 आरोपी हुए बाइज़्ज़त बरी, पीड़ित बोले ‘जो लोग मरे वो क्या आत्महत्या करके मरे?’
Gujarat Naroda Village Riot: गुजरात दंगों के नरोदा गाँव दंगे के 11 मौतों के 69 आरोपी हुए बाइज़्ज़त बरी, पीड़ित बोले ‘जो लोग मरे वो क्या आत्महत्या करके मरे?’
अहमदाबाद: Gujarat Naroda Village Riot: गुजरात के अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने आज वर्ष-2002 गुजरात दंगों के नरोदा गाँव दंगा मामले में सभी 69 आरोपियों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। विदित हो कि गुजरात के अहमदाबाद में 2002 में हुए दंगे हुए थे। और इन दंगों में उपद्रवियों ने 11 लोगों को आग में ज़िन्दा जला दिया था।
इस अति गम्भीर मामले में गुजरात की पूर्व मन्त्री माया कोडनानी के अलावा बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को भी बरी कर दिया गया है। इस प्रकार अब दंगे के सभी 69 आरोपीयों कर बरी होने के बाद अब कोर्ट के इस निर्णय के बाद जहाँ पीड़ित पक्ष के वकील शमशाद पठान का कहना कि “आरोपियों को बरी किये जाने के निर्णय को वे गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। (Gujarat Naroda Village Riot)
वकील शमशाद पठान ने कहा कि “यह निर्णय सिर्फ़ पीड़ितों के ही विरुद्घ नहीं है, बल्कि एसआईटी के भी भी विरुद्ध है। क्योंकि एसआईटी (SIT) जिसने अपना कार्य बड़ी ज़िम्मेदारी से करते हुए 86 आरोपियों को दोषी ठहराया था। लेकिन अब उन्हें नहीं पता कि कोर्ट ने किस आधार पर सभी आरोपियों को बरी किया है?” (Gujarat Naroda Village Riot)
पीड़ितों के वकील शमशाद पठान का कहना है कि “हमारे पास आरोपियों के विरुद्ध सभी सबूत थे, FSL से लेकर मोबाइल सेल टावर की लोकेशन व दंगे के चश्मदीदों के बयान तक सभी एविडेन्स हमारे पास मौजूद थे। लेकिन आरोपियों को इस प्रकार से रिहा कर दिये जाने का निर्णय पीड़ितों के विरुद्ध है। (Gujarat Naroda Village Riot)
वहीं नरोदा ग्राम दंगों पर कोर्ट के इस निर्णय को मामले के गवाहों ने पीड़ितों के लिये “काला दिन” बताया। इंडियन एक्सप्रेस में छपी सोहिनी घोष की रिपोर्ट के अनुसार मामले में गवाह इम्तियाज़ अहमद हुसैन कुरैशी ने बताया कि “उन्होंने 17 आरोपियों की पहचान की थी, जिसमें VHP (विश्व हिन्दू परिषद) के पूर्व नेता जयदीप पटेल, प्रद्युम्न पटेल, तत्कालीन पार्षद वल्लभ पटेल व अशोक पटेल शामिल थे।
गवाह इम्तियाज़ अहमद हुसैन कुरैशी ने कहा “मैंने इन लोगों को भीड़ को उकसाते हुए और मस्जिद को जलाने और दूसरी कई ख़ास जगहों पर हमला करने का इशारा करते हुए देखा था। मैंने उन लोगों (दंगाइयों) को पीड़ित परिवारों को जलाते हुए अपनी आँखों से देखा था, मेरी आँखों के सामने 5 लोगों को जलाकर मार डाला था।” (Gujarat Naroda Village Riot)
गवाह इम्तियाज़ कुरैशी ने कहा कि “आरोपियों को जहाँ कम से कम आजीवन कारावास की सज़ा होनी चाहिये थी, उन आरोपियों को कोर्ट द्वारा रिहा किया जाना न्याय व्यवस्था पर हमारे विश्वास को कम करता है। इसका अर्थ यह हुआ कि दंगे में मारे गये सभी लोग आत्महत्या करके मरे थे क्या..?” (Gujarat Naroda Village Riot)
एक और दूसरे गवाह शरीफ़ मलिक ने कोर्ट में माया कोडनानी व जयदीप पटेल सहित सभी 13 आरोपियों की पहचान की थी। और इन लोगों विरुद्ध कोर्ट मर गवाही भी दी थी। लेकिन कोर्ट का यह निर्णय साबित करता है कि जो लोग अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा करते हैं, उन्हें दोषमुक्त बता छोड़ दिया जाता है। यह निर्णय न्याय व्यवस्था पर कई सवाल खड़ा करता है।
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