India’s Fertility Rate: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसंख्या वाले बयान पर नक़वी के बाद मुस्लिम संगठन भी भड़के, जानिये क्या कहता है प्रजनन दर का डेटा?
उत्तर प्रदेश: India’s Fertility Rate- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनंसख्या वाले बयान पर जहाँ बीजेपी के मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कड़ा ऐतराज़ जताते हुए जनसंख्या वृद्धि दर को धर्म से न जोड़कर राष्ट्र समस्या बताया है। वहीं अब योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर मुस्लिम संगठन भी भड़क गये हैं।
क्या कहा सीएम योगी ने?
दरअसल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि “सिर्फ़ एक वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता फ़ैलेगी।” योगी आदित्यनाथ का इशारा मुस्लिम समुदाय की तरफ़ था। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर जहाँ विपक्षी राजनीतिक पार्टियां हमलावर हो गयी हैं, तो वहीं अब मुस्लिम सगठनों से जुड़े लोग ने भी इस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान को ग़ैर ज़रूरी व तथ्यों से इतर बता रहे हैं। (India’s Fertility Rate)
बीजेपी के मुख़्तार अब्बास नकवी ने भी जताया ऐतराज़-
हालांकि सबसे पहले स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व केन्द्रीय मन्त्री अब्बास नक़वी ने भी इशारों-इशारों में योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर सवालिया निशान लगाते हुए एक ट्वीट किया था, जिस में मुख़्तार अब्बास नक़वी ने लिखा कि “बढ़ती जनसंख्या को किसी धर्म से जोड़कर देखना ग़लत है। यह पूरे देश के लिये ही समस्या है। इसे जाति या धर्म से जोड़ना जायज़ नहीं है।” (India’s Fertility Rate)
विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जताई आपत्ति-
वहीं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व नेता विपक्ष अखिलेश यादव ने भी एक ट्वीट कर योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर तंज कसते हुए कहा “अराजकता आबादी से नहीं.. लोकतान्त्रिक मूल्यों की बर्बादी से उपजती है।” समाजवादी पार्टी के अतिरिक्त तेजस्वी यादव, असदुद्दीन ओवैसी आदि अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी योगी आदित्यनाथ के इस जनसंख्या वाले बयान की आलोचना की है। (India’s Fertility Rate)
मुस्लिम संगठनों ने भी योगी के बयान को बताया ग़लत-
वहीं मुस्लिम सगठनों से जुड़े लोगों ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसंख्या वाले बयान को ग़लत और तथ्यों से परे बताते हुए ऐतराज़ जताया है। इस संबंध में “ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड” के सदस्य क़ासिम रसूल इलियास ने कहा है कि “जनंसख्या बढ़ोत्तरी को किसी एक धर्म से जोड़ना सही नहीं है।” उन्होंने कहा “आंकड़े इस बात के गवाह है कि आबादी सब की बढ़ रही है, और मुस्लिम समुदाय में तो अब प्रजनन दर कम ही हुई है।” (India’s Fertility Rate)
जानिये क्या कहता है सरकार के सवेक्षण का डेटा?
दरअसल वर्ष-1992 में किये गये “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण” में भारत में मुस्लिमों प्रजनन की दर 4.41 थी, जबकि इसी सर्वेक्षण में हिन्दुओं की प्रजनन दर 3.3 अर्थात इन दोनों समुदायों के बीच मात्र 1 पॉइन्ट का ही अन्तर था। लेकिन अब वर्ष- 2022 की “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण” की रिपोर्ट के अनुसार यह अन्तर घटकर आधे से भी कम पॉइन्ट का रह गया है। (India’s Fertility Rate)
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को सुनायी 2 हज़ार रुपये के जुर्माने के साथ 4 माह की सज़ा