Jats Stand On Nuh Violence
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Jats Stand On Nuh Violence: जानिये नूंह हिंसा में 11-वीं सदी के धर्म परिवर्तित करने वाले मुस्लिम राजपूतों के विरुद्ध क्यों नहीं गये हरियाणा के जाट?

Jats Stand On Nuh Violence: जानिये नूंह हिंसा में 11-वीं सदी के धर्म परिवर्तित करने वाले मुस्लिम राजपूतों के विरुद्ध क्यों नहीं गये हरियाणा के जाट?

 

न्यूज़ डेस्क: Jats Stand On Nuh Violence- मेवात के नूंह में हुई हिंसा कोई अप्रत्याशित नहीं थी, हरियाणा सरकार भले ही कह रही हो कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि हिंसा भी हो सकती है। चलिये अगर हिंसा हो भी गयी थी तो उसे तभी रोका भी जा सकता था। क्योंकि सरकार के पास क्या कुछ नहीं था?Jats Stand On Nuh Violence

सरकारी शक्ति थी, पुलिस थी, केन्द्रीय अर्धसैनिक बल भी समय पहुँच गये थे। लेकिन इसके बाद भी हिंसा होती रही?
इसलिये हरियाणा हिंसा पर नूंह के विधायक आफ़ताब अहमद का कहना है कि “हरियाणा के नूंह की यह हिंसा कोई अचानक हुआ घटनाक्रम नहीं है बल्कि यह हिंसा एक वर्ग विशेष के व्यक्ति की मौत से जुड़ी है। (Jats Stand On Nuh Violence)

यहाँ वर्ष 2021 में दूसरे सम्प्रदाय के लोगों ने मुस्लिम समुदाय के एक व्यक्ति को मारकर उसकी हत्या करने की वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड कर मुस्लिम समुदाय के लोगों को चिढ़ाया गया था। ये ही नहीं उसके बाद लगातार भड़काऊ हरकतों और भड़काऊ भाषणबाज़ी जारी थी, और प्रशासन इससे बेख़बर नहीं था।” (Jats Stand On Nuh Violence)

बता दें कि हरियाणा के जिस मेवात क्षेत्र के नूंह में यह हिंसा हुई वहाँ पर सबसे ज़्यादा राजपूत समाज के वे मुस्लिम लोग रहते हैं, जो 11-वीं सदी में धर्म बदलकर मुस्लिम हो गये थे। जिसका मज़हब तो इस्लाम है, लेकिन मज़हब बदलने के बाद भी इनके रहन-सहन, रीति-रिवाज़ वही ज्यों के त्यों राजपूताना हैं। इनके लिये इनका मज़हब तो अहमियत रखता ही है, लेकिन इससे भी बड़ी चीज़ इनकी राजपुताना परम्परा और रीति-रिवाज़ हैं।Jats Stand On Nuh Violence

ये लोग कभी नहीं चाहते कि समाज का साम्प्रदायिक बिगड़े लेकिन यहाँ पिछले कुछ समय से इस्लामिक विरोधी विचारधारा समाज का माहौल बिगाड़ने का लगातार प्रयास कर रही थी। और अब बात जब हद से ज़्यादा बढ़ गयी तो हिंसा हो गयी। लेकिन अब हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा में यह बात स्पष्ट हो गयी कि यहाँ का जाट समुदाय हिन्दुत्व के मुद्दे पर हिन्दुत्वादियों के साथ आकर मुस्लिमों के साथ खड़े क्यों नहीं हुए? (Jats Stand On Nuh Violence)

इससे लगता है कि अब हरियाणा में हिन्दुत्व के कथित ठेकेदारों की दुकान पूरी तरह से बन्द होने वाली है। हालाँकि हिन्दुत्व के ठेकेदारों ने हरियाणा के जाट समुदाय को मुस्लिमों के विरुद्ध हिन्दुत्व के मुद्दे पर उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन जाट समुदाय ने अपने आप को इस में हिन्दुत्व के मुद्दे पर अलग ही रखा। (Jats Stand On Nuh Violence)

जबकि हिन्दुत्व के ठेकेदारों ने जाटों से आह्वान किया कि “जाओ तुम्हारे हिन्दू भाई संकट में हैं, लेकिन जाटों का रुख था कि क्यों तुम्हारे साथ जायें? और किस लिये जायें? क्योंकि कुछ दिन पूर्व तक ये ही हिन्दुत्व के ठेकेदार जाटों को हिन्दू ही मानने को तैयार तक नहीं थे। किसान आन्दोलन रहा हो या महिला पहलवानों का आन्दोलन..इन आन्दोलनों के दौरान इन्ही हिन्दुत्वादियों ने ‘जाट समुदाय’ को ख़ालिस्तानी और न जाने क्या-क्या संज्ञायें दे डाली थी। (Jats Stand On Nuh Violence)Jats Stand On Nuh Violence

अगर देखा जाये तो हरियाणा में इस हिंसा के बाद एक नई राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की बयार देखने को मिल रही है। अब यहाँ लग रहा है कि वह हिन्दुत्व की दुकान जो बीजेपी की खट्टर सरकार में खुली थी, बन्द होने वाली है। वैसे भी साम्प्रदायिक सौहार्द के नज़रिये से अगर हरियाणा राज्य को देखा जाये तो यहाँ यूपी के मुक़ाबले 100 गुना अच्छा साम्प्रदायिक सौहार्द है। (Jats Stand On Nuh Violence)

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का अध्ययन करने पर सामने आया है कि हरियाणा की अखिल भारतीय जाट महासभा व भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने शुक्रवार को अमर उजाला डिजिटल मीडिया के साथ बातचीत करने के दौरान कहा कि “ये सोचने वाली बात है कि, वे कौन लोग हैं, जो अपने आप को हिन्दुत्व का ठेकेदार बताते हैं? उन्होंने पहले समाज 35/1 का नारा दिया था, और जाटों को अलग-थलग करने का प्रयास किया।” (Jats Stand On Nuh Violence)

इन्होंने ही वर्ष- 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में जाटों को हिन्दुत्व के मुद्दे पर उकसाया था। उस वक्त नंगला मंदौड़ में महापंचायत हो रही थी, हमने प्रशासन को कह दिया था कि हम आपको क़ातिलों का नाम बता रहे हैं। उस वक्त मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों ने 2 ममेरे भाइयों, गौरव व सचिन की हत्या कर दी थी। (Jats Stand On Nuh Violence)

कथित ठेकेदारों ने महापंचायत पर क़ब्ज़ा करने का प्रयास किया और किसानों को बदला लेने के लिये उकसाया। हालाँकि बाद में उन लोगों के चेहरों से नक़ाब हट गया था, जिन्होंने नंगला मंदौड़ की महापंचायत में जाट समुदाय को बदला लेने को उकसाया था। इसके लिये भाजपा नेताओं पर आरोप लगे थे। हरियाणा में भी वर्ष-2016 के दौरान आरक्षण में इन्होंने 35/1 का नारा दे दिया था। (Jats Stand On Nuh Violence)

युद्धवीर सिंह आगे बताते हैं कि हरियाणा में आरक्षण आरक्षण के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। हिन्दुत्व के इन्ही ठेकेदारों ने जाट समाज को उकसाने का प्रयास किया गया था। DSP भाटिया ने होस्टल से जाट समुदाय के युवाओं को उठा लिया था, और हरियाणा सरकार में तत्कालीन मिनिस्टर मनीष ग्रोवर के लोगों ने शहर में लूट करायी थी, और इसमें नाम जाट समाज का आया था। (Jats Stand On Nuh Violence)

मिनिस्टर के PA और सुरक्षाकर्मी के घरों से माल बरामद हुआ था। जब भी जाट समाज को अलग-थलग करने का प्रयास हुआ था। अब जाटों को यह समझना होगा कि आख़िर यें कौन लोग हैं? जिनका जब मन करता है तो, ये जाटों को हिन्दू बना देते हैं, और जब मन करता है उन्हें किसी दूसरे धर्म का बता देते हैं। (Jats Stand On Nuh Violence)

उन्होंने आगे कहा कि किसान आन्दोलन और पहलवानों के दौरान ये ही लोग जाट समाज को हिन्दू नहीं मान रहे थे। सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़े एक संगठन के लोग कह रहे थे कि एक दिन में पीट पीटकर धरना स्थल खाली करा देंगे। यहाँ तक कि इन्ही लोगों ने संत समाज को भी जाटों के विरुद्ध कर दिया। अब ये (हिन्दुत्ववादी) मेवात में भी ठीक वैसा ही कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं। (Jats Stand On Nuh Violence)

इन्होंने जाटों को नूंह हिंसा में शामिल करने का प्रयास किया, लेकिन हम जाट समुदाय के लोगों ने उन लोगों (हिन्दुत्व के ठेकेदारों) को 2 टूक जवाब दे दिया है कि हम लोग वैदिक धर्म पर चलते हैं, और हम चौधरी छोटूराम व चौधरी चरणसिंह जी की भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता की नीति का अनुसरण करते हैं।” (Jats Stand On Nuh Violence)
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