Karnataka-Green Railway Station Controversy: अब रेलवे स्टेशन के हरे रंग को इस्लामिक रंग बता हिन्दू संगठनों ने छेड़ा विवाद, कहा मस्जिद जैसा दिखता है स्टेशन
Karnataka-Green Railway Station Controversy: कर्नाटक में अब रेलवे स्टेशन के हरे रंग को इस्लामिक रंग बता हिन्दू संगठनों ने छेड़ा विवाद, कहा मस्जिद जैसा दिखता है स्टेशन
कर्नाटक: Karnataka-Green Railway Station Controversy- हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बने कर्नाटक राज्य में अब हिजाब, लव जिहाद, आर्थिक जिहाद और फल जिहाद जैसे देश की एकता को खण्डित करने वाले मुद्दों के बाद अब हरे रंग को इस्लामिक रंग बताकर धार्मिक रंग दिया जा रहा है। यहाँ के कलबुर्गी रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग पर सब्ज़ रंग यानि हरे रंग का पेंट किये जाने पर विवाद खड़ा हो गया है।
यहाँ कलबुर्गी रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग पर हरे रंग से पुताई होने पर हिन्दू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए हरे रंग के विरुद्ध प्रदर्शन शुरु गये हैं। विरोध प्रदर्शन कर रहे इन हिन्दू संगठनों का कहना है कि कलबुर्गी का रेलवे स्टेशन हरे रंग का होने के कारण मस्जिद जैसा दिखता है। और उन्हें ये क़तई बर्दाश्त नहीं है, इसलिए जल्द से जल्द इस रेलवे स्टेशन का रंग बदला जाये। (Karnataka-Green Railway Station Controversy)
वहीं अब इन हिन्दुत्व संगठनों के लोगों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब रेलवे प्रशासन ने इस कलबुर्गी रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग के सब्ज़ रंग यानि हरे रंग को बदलने का निर्णय लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार अब इस कलबुर्गी रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग का रंग हरे से सफ़ेद किया जा रहा है। (Karnataka-Green Railway Station Controversy)
हालाँकि कथित हिन्दुत्वादी संगठनों के हरे रंग से नफ़रत करने की बात के जवाब में जवाब में इस्लामिक जानकारों का कहना है कि रंगों का कोई धर्म नहीं होता है, सब्ज़ीयां जो अक्सर हरी होती हैं सभी धर्मों के लोग खाते हैं। ऐसा नहीं है कि हरा रंग इस्लामिक ही रंग होता है। (Karnataka-Green Railway Station Controversy)
इस्लामिक जानकारों का कहना है कि इस्लाम धर्म में तो गेरुआ रंग जिसे हिन्दुत्व के रंग का नाम दे दिया गया है उसे भी अन्य रंगों की तरह सिर्फ़ एक रंग की ही नज़र से देखा जाता है किसी धार्मिक रंग के नज़रिए नहीं। इस्लाम धर्म में किसी भी रंग और किसी भी दिन को अशुभ नहीं माना गया है। (Karnataka-Green Railway Station Controversy)
हाँ जुमे के दिन को और विशेष और हरे व सफ़ेद रंग को सुकून और शान्ति के प्रतीक के रूप में कुछ तरजीह ज़रूर दी गयी है। लेकिन ऐसा कहना या मानना ग़लत है कि हरे या सफ़ेद रंग का धर्म इस्लामिक धर्म है।
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