आकाश में आज रात दिखेगा उल्कापिंड का अद्भुत जगमग नज़ारा, जानिये भारत के कौन कौन से स्थानों पर दिखेगा यह अद्भुत नज़ारा- Lyrid meteor shower

  • आकाश में आज रात दिखेगा उल्कापिंड का अद्भुत जगमग नज़ारा, जानिये भारत के कौन कौन से स्थानों पर दिखेगा यह अद्भुत नज़ारा- Lyrid meteor shower

नई दिल्ली : 
आज रात आकाश में अद्भुत खगोलीय घटना देखने को मिलने जा रही है। क्योंकि आज रात में लिरिड उल्का बौछार (Lyrid meteor shower) की चमक अपने क्लाइमेक्स पर होगी। हालांकि उल्कापिंड की चमक का यह नज़ारा अगले कई दिनों तक भी देखा जा सकेगा। परन्तु आज की रात विशेष रहेगी। यूँ तो हमारे ब्रह्मांड में ऐसी दुर्लभ घटनायें अक्सर होती ही रहती हैं। लेकिन इस तरह की खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों के लिये ऐसे मौक़े रोज़-रोज़ नहीं आते।

Lyrid meteor shower (लिरिड उल्का बौछार) क्या है ? यह स्थिति कब कब और क्यों बनती है और देश के किन-किन इलाकों से इसे बेहतर तरीके से देखा जा सकता है। आगे इसकी तमाम जानकारी यहाँ जा रही हैं।

क्या होती हैं यें उल्कापिंड और कैसे चमकती हैं?
आपको बता दें कि एक उल्का बौछार अथवा उल्का की बारिश तब होती है जब धरती, धूमकेतू अथवा क्षुद्रग्रह से छोड़े गये मलबे से होकर गुज़रती है। लिरिड थैचर धूमकेतु का मलबा है जो इस समय धरती से 1,60,00,00,000 किलोमीटर की दूरी पर अपनी कक्षा में यात्रा कर रहा है। और आज (शुक्रवार) की रात आकाश में उल्का बारिश अपनी प्रकाष्ठा पर नज़र आयेंगे और यह 29 अप्रैल-2022 तक प्रति घंटे 10 से 15 उल्का की गति से लगातार गुज़रते रहेंगे। हालांकि इस अद्भुत खगोलीय घटना के दिखने में चन्द्रमा की चाँदनी बाधक बन सकती है। क्योंकि चन्द्रमा की रोशनी के चलते उल्का बौछार की दृष्यता (विज़िबिलिटी) 25 से 50% तक कम हो सकती है।Lyrid meteor shower

क्या है यह लिरिड उल्का वर्षा?
लिरिड उल्का बौछार थैचर (Lyrid meteor shower) धूमकेतु के ज़रिये पीछे छोड़े गये मलबे का वह क्षेत्र है जो पृथ्वी की कक्षा में मौजूद है। यह तब हुआ जब वह अपनी कक्षा में सूर्य की तरफ़ बढ़ रहा था। हर वर्ष जब पृथ्वी अपनी कक्षा में इस मलबे वाले क्षेत्र से गुज़रती है तो इस के ऊपरी वायुमंडल के साथ घर्षण पैदा होने के कारण यह मलबा जल उठता है और यह अपने पीछे जलते हुए ‘शूटिंग स्टार’ के निशान छोड़ते हैं जिसे लिरिड उल्का बौछार (Lyrid meteor shower) कहते है। नासा के अनुसार यें लिरिड्स 2700 वर्षों से नज़र आ रहे हैं और अपने तेज़,चमकीले उल्काओं के लिये जाने जाते हैं। जब यें पृथ्वी के वायुमंडल के गर्म क्षेत्र से गुज़रते हैं तो कुछ सेकंड के लिये इनका अदभुत नज़ारा देखने लायक़ होता है।

भारत के किन-किन क्षेत्रों में दिखेगी यह लिरिड उल्का बौछार ?
लिरिड उल्का बारिश का नज़ारा पूरे देश में और सभी शहरों से किया जा सकता है। इण्डिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एम.पी बिड़ला तारामंडल की साइंटिफिक ऑफिसर शिल्पी गुप्ता ने कहा है कि “कोलकाता, दिल्ली सहित देश के दूसरे भागों में रात क़रीब 8.31 बजे से यह उल्का बारिश अपने क्लाइमेक्स पर होगी। आमतौर पर ‘शूटिंग स्टार’ कहलाने वाली ये उल्कायें चट्टानी होती हैं जो धरती के वायुमंडल में 30 से 60 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से प्रवेश होती हैं और उससे बनने वाली चमकती धारियों को ही उल्का बौछार कहा जाता है।Lyrid meteor shower

लम्बी अवधि का है यह थैचर धूमकेतु-
बिड़ला तारामंडल के अनुसार C/1861 G-1 थैचर एक लम्बे समय का धूमकेतु है जो सूरज की परिक्रमा करने में 415 वर्ष लेता है। अन्तिम बार यह वर्ष-1861 में अपने पेरहीलीअन प्वाइंट से गुज़रा था। हर बार जब भी कोई धूमकेतु आन्तरिक सौरमंडल में प्रवेश करता है तो वह अपनी कक्षा में अपने पीछे मलबा छोड़ देता है। आगामी 6 मई और 7 मई को भी धूमकेतु हैली से छोड़े गये धूल के कणों से पैदा हुईं एटा एक्वारिड्स उल्का बौछार देखने को मिल सकता है।

Author: Farhad Pundir(Farmat)