Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy: वोट पाने के लिये दलित-हिन्दू भाई-भाई लेकिन मन्दिरों में जातिगत भेदभाव? मन्दिर के प्रीतिभोज में बैठने के लिये दलितों को मन्दिर में नहीं दी गयी जगह
Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy: वोट पाने के लिये दलित-हिन्दू भाई-भाई लेकिन मन्दिरों में जातिगत भेदभाव? मन्दिर के प्रीतिभोज में बैठने के लिये दलितों को मन्दिर में नहीं दी गयी जगह
मेहसाणा: Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy- गुजरात के मेहसाणा जनपद के एक गाँव में अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा पाटीदार समुदाय द्वारा आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रीतिभोज के दौरान जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार अनुसूचित जाति के लोगों का आरोप है कि उन्हें मन्दिर के भोज कार्यक्रम में मन्दिर की बजाय अलग से बिठाकर भोज कराया गया है। जबकि पाटीदार समुदाय के नेताओं द्वारा इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज़ किया है। लेकिन इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच विवाद पनपा हुआ है। (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
मीडिया रिपोर्ट्स में घटना के संबंध में ज़िला सामाजिक न्याय विभाग के एक अधिकारी के हवाले से बताया जा रहा है कि रविवार व सोमवार को भटारिया गाँव में आयोजित हुए एक धार्मिक कार्यक्रम में की गयी प्रीतिभोज की व्यवस्था पर दोनों समुदायों के लोगों के लोगों के बीच पनपे विवाद के समाधान को लेकर लेकर बैठकें हो रही हैं। (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
बता दें कि मेहसाणा जनपद के भटारिया गाँव के दलित समुदाय के लोगों ने दावा किया है कि उन्हें पाटीदार समुदाय के लोगों द्वारा उमिया माता व महादेव मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के मौक़े पर आयोजित प्रीतिभोज में मन्दिर में बैठने के लिये जगह नहीं दी गयी, उन्हें मन्दिर के बजाय अन्य स्थान पर बैठाकर भोज कराने की व्यवस्था की गयी थी जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
इस बात को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव की स्तिथि पैदा हो गयी। पीड़ित अनुसूचित जाति के लोगों ने इस मुद्दे पर उचित उचित कार्यवाही की माँग को लेकर ज़िलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया, जिसके बाद तनाव को कम करने के लिये स्थानीय पुलिस को भी बुलाया गया। (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
गाँव में अनुसूचित जाति और पाटीदार समुदाय के बीच उपजे विवाद के बीच गाँव की सरपंच विजयबेन परमार अब खुलकर अपने अनुसूचित समाज के पक्ष में आ खड़ी हुई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स फ़िलहाल दोनों पक्षों के बीच विवाद ख़त्म करने के लिये ज़िला प्रशासन भरसक प्रयास कर रहा है। (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
एक स्थानीय व्यक्ति कान्तिभाई नादिया ने दावा किया है कि भटारिया ग़गाँव में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। यहाँ तक कि और गाँव के आंगनवाड़ी केन्द्र में इस जाति की महिलाओं को खाना बनाने की भी अनुमति नहीं है।” (Mehsana Dalit And Temple Feast Controversy)
अब ग़ौर करने वाली बात है कि जब चुनाव का समय आता है तो देश में हिन्दुत्व की राजनीति करने वाले लोग वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिये इन अनुसूचित जाति के लोगों को मौखिक रूप से हिन्दू भाई बताते हैं, लेकिन जब बात आती है पास बैठने की या अगड़ी जाती के मन्दिरों में प्रवेश की तो अछूत क्यों समझे जाते हैं?
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