Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करते हुए कहा ‘देश की प्रगति के लिये सांप्रदायिक सद्भाव ज़रूरी’ तो फ़िर देश में मुस्लिम परेशान क्यूँ?
Mohan Bhagwat: मोहन भागवत ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करते हुए कहा ‘देश की प्रगति के लिये सांप्रदायिक सद्भाव ज़रूरी’ तो फ़िर देश में मुस्लिम परेशान क्यूँ?
नई दिल्ली: Mohan Bhagwat-
आज देश में सांप्रदायिकता चरम पर है, लेकिन देश में साम्प्रदायिक सद्भाव को मजबूत करने के लिये संघ प्रमुख मोहन भागवत निरन्तर मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठकें और बातचीत कर रहे हैं।
हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई ,क़ुरैशी और दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग सहित पाँच मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भेंट कर देश के कई महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा की। मुस्लिम बुद्धजीवियों के साथ मोहन भागवत की यह भेंट अथवा चर्चा ऐसे समय में की जा रही है, जब मुख्य रूप से वाराणसी की अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर सुनवायी चल रही है। (Mohan Bhagwat)
इण्डियन एक्सप्रेस (Indian Express) को एक रिपोर्ट के अनुसार संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इन 5 मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करते हुए गोहत्या सहित कई संवेदनशील मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने देश के दोनों पक्षों (हिन्दू-मुस्लिम) की ओर से समाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर आइन्दा भी बातचीत जारी रखने का का भी संकल्प भी लिया। (Mohan Bhagwat)
लगभग एक महीना पहले भी एक ऐसी ही मीटिंग में मोहन भागवत ने कहा था कि “जहाँ हिन्दू मूर्तियों की पूजा करते हैं, वहीं भारतीय मुसलमान भी कब्रों पर प्रार्थना करते हैं।” उन्होंने कहा था कि “देश की प्रगति के लिये सांप्रदायिक सद्भाव बहुत ज़रूरी है। (Mohan Bhagwat)
लेकिन एक प्रश्न यह उठता है कि जब आरआरएस और आरआरएस प्रमुख जब देश की प्रगति के लिये साम्प्रदायिक सौहार्द को ज़रूरी समझते हैं, तो वे कौन राजनीतिक और ग़ैर राजनीतिक लोग हैं? जो हिन्दुत्व के नाम पर भारतीय मुसलमानों को कथित तौर पर इस देश का दुश्मन मानकर समाज के साम्प्रदायिक सौहार्द में ज़हर घोलने का कार्य कर रहे हैं?
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