Owaisi Furious Over The Injustice To Muslims: अगर सार्वजनिक स्थानों पर नमाज़ पढ़ना गुनाह है तो सरकारी दफ़्तरों में होने वाले उद्घाटनों में भी नहीं होने चाहिये धार्मिक चिह्न- असदुद्दीन ओवैसी
Owaisi Furious Over The Injustice To Muslims: उत्तर प्रदेश में रोडवेज की बस को रुकवाकर किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा नमाज़ पढ़ने की घटना के बाद बस चालक और परिचालक पर हुई कार्यवाही के मामले पर AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के प्रमुख बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है।
असदुद्दीन ओवैसी ने बस चालक और परिचालक के विरुद्ध हुई इस कार्यवाही पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि “अगर बेचारे मुस्लिम ने बस रुकवाकर 3-4 मिनट नमाज़ पढ़ ली तो क्या क़यामत आ गयी थी? अगर यह ग़लत है तो सरकारी दफ़्तरों में भी धार्मिक चिह्न नहीं होने चाहिये। (Owaisi Furious Over The Injustice To Muslims)
उन्होंने कहा “बस उत्तर प्रदेश के बरेली से जा रही थी, रास्ते में बस रुकी तो किसी मुसलमान ने कहा कि..भाई 3 मिनट रुक जाओ, हम नमाज़ पढ़ते हैं। सिर्फ़ 2 मुसलमानों ने नमाज़ पढ़ी थी। इसलिये बस ड्राइवर को सस्पेंड और कंडक्टर मोहित यादव को बर्ख़ास्त कर दिया गया? (Owaisi Furious Over The Injustice To Muslims)
उन्होंने कहा “नमाज़ पढ़ी तो क्या क़यामत आ गयी? अगर नमाज़ पढ़ना गुनाह है, तो सभी सरकारी दफ़्तरों में भी कोई धार्मिक चिह्न नहीं होने चाहिये। उन्होंने कहा “चाहे कोई कलेक्टर कार्यालय हो, सचिवालय हो..किसी में भी कोई धार्मिक उत्सव नहीं होना चाहिये। (Owaisi Furious Over The Injustice To Muslims)
अगर नमाज़ पढ़ना गुनाह है तो किसी भी सरकारी ऑफिस में कोई भी धार्मिक निशान नहीं होना चाहिए।pic.twitter.com/dI6AK1elyd
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) June 11, 2023
बता दें कि विगत 3 जून को उत्तर प्रदेश रोडवेज की एक जनरथ बस बरेली से कौशाम्बी आ रही थी, कि इसी बीच रास्ते में 2 मुस्लिम लोगों ने बस ड्राइवर से नमाज़ पढ़ने के लिये बस रोकने की गुहार लगायी तो धार्मिक सम्मान स्वरूप ड्राइवर ने 2 मिनट बस रोककर नमाज़ पढ़वाने का अक्षम्य अपराध कर दिया था।
लेकिन सभी लोग सभी धर्मों का सम्मान करने वाले नहीं होते इसलिये पूरी बस के यात्रियों में से किसी व्यक्ति को यह बात इतनी नागवार गुज़री कि नफरत में पूरी घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। जब मामला विभागीय अधिकारियों तक पहुँचा तो निश्चित रूप से “सबका साथ, सबका विकास और सबका विकास” वाली सरकार में कार्यवाही तो होनी ही थी।
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