Pegasus spyware- पेगासस स्पाइवेयर यूनिट बन्द होने की कगार पर,जानिए क्यों

Pegasus spyware- पेगासस स्पाइवेयर यूनिट बन्द होने की कगार पर,जानिए क्यों

 

नई दिल्ली: Pegasus spyware: पेगासस स्पाइवेयर जो कुछ दिनों पूर्व दुनियाभर में काफ़ी चर्चा में रहा था। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके जासूसी करने के आरोप लगाए थे। अब फ़िर से इस पेगासस स्पाइवेयर पको बनाने वाली कम्पनी चर्चा में आ रही है। NSO नाम की कंपनी जो कि इस पेगासस स्पाइवेयर को बनाती है वह लगातार बढ़ते कर्ज़ के कारण से पेगासस यूनिट को बन्द करने का विचार कर रही है। (Pegasus spyware)Pegasus spyware

 

अब कम्पनी बढ़ते कर्ज़ से उबरने के लिए अपनी पेगासस स्पाइवेयर यूनिट को बन्द किए जाने सहित कई विकल्पों पर विचार विमर्श कर रही है। यही नहीं कम्पनी अवनि पेगासस यूनिट को पूरी तरह से बेचने पर भी विचार कर रही है। कम्पनी ने इस संबंध में कई निवेशकों से भी चर्चा भी की है, ख़रीदने वाले जिन दो संभावित लोगों के नाम सबसे आगे आ रहे हैं उस में दो अमेरिकी शामिल हैं। (Pegasus spyware)

जिन्होंने भी NSO कम्पनी से पेगासस स्पाइवेयर के अधिग्रहण को लेकर चर्चा की है अगर उनमें यह डील होती जाती है तो इससे कम्पनी को लगभग 200 मिलियन डॉलर का निवेश मिलेगा। जबकि NSO के एक प्रवक्ता ने इस तरह की ख़बरों से इनकार किया है। लेकिन यहाँ ग़ौर करने वाली बात यह है कि ‘पेगासस स्पाइवेयर किसी भी व्यक्ति का मोबाइल फोन ट्रैक कर सकता है इस के दुरुपयोग के कारण NSO पहले ही विवादों में आ गई थी।

आरोप है कि पेगासस सॉफ्टवेयर को सरकारों को सप्लाई किया गया है जिसके माध्यम से वें (सरकारें) अपने राजनीतिक विरोधियों,मीडियाकर्मियों और एक्टिविस्ट की जासूसी कर सके। जबकि कम्पनी का कहना था कि “यह सॉफ्टवेयर मात्र सरकारों और क़ानूनी संस्थाओं को ही दिया जाता है जिससे आतंकवाद व अपराध को रोकने में मदद मिल सके।

वहीं ‘अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट’ ने NSO को ब्लैकलिस्ट कर रखा है वहीं Apple कम्पनी ने भी NSO के विरुद्ध केस दर्ज किया हुआ है। (Pegasus spyware unit on the verge of closure)

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