Rabta Madaris Ijlaas Deoband: ‘हमें मदरसों में कोई सरकारी मदद नहीं चाहिए, मदरसे सिर्फ़ दीनी तालीम के लिये होते हैं, दुनियावी के लिये स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटीज़ होती हैं- मौलाना अरशद मदनी
Rabta Madaris Ijlaas Deoband: ‘हमें मदरसों में कोई सरकारी मदद नहीं चाहिए, मदरसे सिर्फ़ दीनी तालीम के लिये होते हैं, दुनियावी के लिये स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटीज़ होती हैं- मौलाना अरशद मदनी
देवबन्द: Rabta Madaris Ijlaas Deoband-
विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में आयोजित ‘राब्ता मदारिस इजलास’ का आयोजन किया गया। जिसमें दारुल उलूम जुड़े सभी उलेमाओं और उस्तादों के अलावा प्रदेश भर से लगभग साढ़े चार हज़ार मदरसा संचालकों ने प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के बाद आयोजित पत्रकारवार्ता में दारुल उलूम के वरिष्ठ उस्ताद और जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों को किसी भी बोर्ड से संबद्ध किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि दुनिया का कोई भी बोर्ड मदरसों की स्थापना के मक़सद को ही नहीं समझ सकता, इसलिये मदरसों को किसी बोर्ड से जुड़ने का कोई मतलब ही नहीं बनता। (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
मदरसों को सरकरी आर्थिक सहायता के सवाल के जवाब में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि “मदरसों को किसी भी सरकारी मदद की ज़रूरत नहीं हैं, मदरसे चंदे से चलते आ रहे हैं और चंदे से ही चलते रहेंगे, और मदरसों से हाफ़िज़ और मुफ़्ती बनकर अपने दीन मज़हब के लिये हर अपने गाँव और अपनी हर बस्ती में नमाज़ और शिक्षा देने का काम करते हैं और करते रहेंगे। बाक़ी डॉक्टर और इंजिनियर बनाने के लिये हम अपने बच्चों को स्कूल,कालेज और यूनिवर्सिटीज में बढ़ाते हैं। (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
मौलाना अरशद मदनी ने मदरसों में सरकारी हस्तक्षेप पर कहा कि “बिहार और असम में मदरसों की दखलंदाजी होने के बाद वहां के मदरसे ख़त्म हो गये, और अगर यूपी में भी मदरसों में सरकारी हस्तक्षेप होता है तो यहाँ भी बिहार और असम जैसी स्थिति हो जाएगी। इसलिये मदरसों को कोई सरकारी हस्तक्षेप या आर्थिक मदद की ज़रूरत नहीं।” (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
उन्होंने कहा कि “मदरसों के लोगों ने ही देश को आज़ाद कराया जो अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। लेकिन दु:ख की बात है, आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाये जा रहे हैं, और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं। जबकि हक़ीक़त यह है कि अधिकांश मदरसों में तो दरवाज़े तक भी नहीं है, उनमें कभी भी कोई भी 24 घंटे आ सकता है और वहाँ रुक भी सकता है।
उन्होंने कहा मदरसों में ऐसी कोई भी गतिविधियां नहीं होती जिन्हें छुपाया जा सके। इसलिये मदरसों की सरकारी जाँच से कोई आपत्ति नहीं। मौलाना अरशद ने एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि “उन्हें अभी तक सरकार की ओर से ऐसी कोई बात कि सरकार मदरसों को अपने कंट्रोल में लेना चाहती है..ये बात अभी तक तो मेरे सामने नहीं आयी है। (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि “हर मज़हब के लोग अपने मजहब के लिये काम करते हैं, तो हम अपने मज़हब की हिफ़ाज़त क्यों न करें? समाज के साथ साथ देश को भी धार्मिक लोगों की भी ज़रूरत है। (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
उन्होंने कहा कि मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्ती भर वास्ता नहीं है हमने देश की आज़ादी के बाद से खुद को अलग कर लिया था। अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते।” (Rabta Madaris Ijlaas Deoband)
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