सकारात्मक पहल: दलित दूल्हे की बारात का राजपूत समाज ने किया स्वागत,खुद निकलवायी बिंदौरी (घुड़चढ़ी)–Rajasthan Kekdi Bilia Village
राजस्थान:
अभी तक आपने आमतौर पर दलित दूल्हे को राजपूतों द्वारा घोड़ी पर न चढ़ने जैसी ही ख़बरें ही पढ़ी होंगी लेकिन इस पूर्वग्राही धारणा के विपरीत राजस्थान के बिलिया गाँव में सामाजिक समरसता की एक अनूठी मिसाल देखने को मिली। जहाँ राजपूत समाज के एक परिवार द्वारा वाल्मीकि परिवार की न सिर्फ़ बारात का स्वागत किया बल्कि बारातियों को भोजन भी कराया गया। यही नहीं इस राजपूत परिवार ने दलित परिवार की शादी में हिस्सा लेकर शादी की हर रस्म को ख़ूब धूमधाम से भी मनवाया। (Rajasthan Kekdi Bilia Village)
अक्सर राजस्थान प्रदेश सहित पूरे देश में राजपूत समाज बाहुल्य गाँव और बस्तियों में दलित वर्ग की घुड़चढ़ी रोके जाने की घटनायें ही सामने आती थी लेकिन अब समाज बदल रहा है। और इसकी एक मिसाल देखने को मिली राजस्थान के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के बिलिया गाँव में। यहाँ राजपूत समाज के लोगों द्वारा सामाजिक सद्भाव और समरसता की एक बहुत ही अच्छी मिसाल पेश की गई। इस बिलिया गाँव में एक दलित समाज की बेटी की बारात आयी और इस बारात का स्वागत राजपूत समाज के लोगों द्वारा किया गया और अपने ही ख़र्च से ही बारातियों के भोजन की व्यवस्था की। इस राजावत राजपूत परिवार ने दूल्हे का स्वागत भी पान खिलाकर किया और घोड़ी पर बैठाया। (Rajasthan Kekdi Bilia Village)
इस राजपूत परिवार ने दुल्हन बनी बेटी अपना मानते हुए विवाह में हर प्रकार से बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। राजावत राजपूत परिवार ने बारात के स्वागत सहित सभी सभी वैवाहिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया और यहाँ तक कि उपवास रखा। क्योंकि हिन्दू मान्यता के अनुसार बेटी की शादी होने तक परिग्रहण संस्कार में हिस्सा लेने वाले उपवास भी रखते हैं और बेटी के विवाह होने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। (Rajasthan Kekdi Bilia Village)
जानकारी के अनुसार केकड़ी क्षेत्र के बिलिया गाँव निवासी धर्मराज वाल्मीकि की बेटी रेखा की शादी टोंक निवासी अजय वाल्मीकि के साथ तय हुई थी। शुक्रवार की रात को बारात आयी तो गाँव के राजावत परिवार के ठाकुर गोपाल सिंह राजावत और भँवर चेतन सिंह राजावत ने दलित की बरात का बड़ी धूमधाम से स्वागत किया और बरात में आये हर व्यक्ति को अल्पाहार कराने के साथ-साथ सभी बारातियों का फूल माला पहनाकर और पान खिलाकर स्वागत की रस्म अदा की। इस बिलिया गाँव में यह ऐसा पहला मामला है जब किसी दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी (बिंदौरी) हुई है,इस सुखद घटना के बाद अब इस गाँव के दलित समाज के लोग काफ़ी ख़ुश हैं। (Rajasthan Kekdi Bilia Village)
इस अवसर पर भँवर चेतन सिंह राजावत का कहना था कि विगत 22 दिसम्बर को जयपुर में हीरक जयन्ती थी जिसमें राजपूत सरदारों ने कहा कि समाज में किसी दलित को घोड़ी से उतारना क्षत्रिय धर्म का हिस्सा नहीं है। और उन्होंने उसी दिन ही यह संकल्प ले लिया था कि अब जब गाँव किसी दलित की शादी होगी तो मैं स्वयं खड़े होकर बिंदौरी (घुड़चढ़ी) निकलवउँगा।
वहीं अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज के ज़िला अध्यक्ष कन्हैयालाल ने कहा कि “मैंने भी आर्मी में सेवा दी हैं और लगभग पूरे देश में घूमा हूँ लेकिन ऐसी अभिनव और सकारात्मक पहल ज़िन्दगी में पहली बार देखी है जब ठाकुर गोपाल सिंह राजावत और इनके परिवार ने हाथी,घोड़ा और ऊँट के साथ किसी दलित की बिंदौरी (घुड़चढ़ी) निकलवायी है.. ऐसा लग रहा है जैसे हमें आज आज़ादी मिली हो।” उन्होंने आगे कहा कि हमारे मन में भी यह अरमान रहता है कि हम भी अपने बेटे, बेटियों की शादी धूमधाम से करें और बिंदौरी निकालें लेकिन सवर्ण समाज के लोगों के विरोध के चलते हमारे यें अरमान मन में ही दबकर रह जाते हैं लेकिन आज हमारा यह सदियों पुराना सपना साकार हुआ है।”