Reconciliation in Arab and Iran: चीन ने 2 प्रतिद्वंद्वी देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह कराकर इस्लामिक दुनिया में मचाई ख़लबली, इज़राइल को लगा बड़ा झटका
Reconciliation in Arab and Iran: चीन ने 2 प्रतिद्वंद्वी देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह कराकर इस्लामिक दुनिया में मचाई ख़लबली, इज़राइल को लगा बड़ा झटका
विश्व समाचार: Reconciliation in Arab and Iran- दुनिया के दो प्रतिद्वंद्वी ईरान और सऊदी अरब देशों के बिगड़े हुए रिश्ते एक बार फ़िर से सुधार की तरफ़ जा रहे हैं। इस सम्बंध में दोनों देशों की सरकारी मीडिया ने इस बात की घोषणा की है। लेकिन इन दोनों देशों के सुधरते राजनयिक रिश्तों की संभावना के चलते इज़राइल के लिये एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार माना जा रहा है कि सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक रिश्तों की बहाली में मध्यस्थता की है चीन ने। चीन की राजधानी बीजिंग में दोनों देशों के बीच हुई इस सकारात्मक वार्ता के बाद ही दोनों प्रतिद्वंद्वी मुस्लिम देशों के बीच राजनयिक रिश्तों की पुनः बहाली के लिये यह समझौता हुआ है। (Reconciliation in Arab and Iran)
अल’जज़ीरा (Al Zazeera) की एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान की समाचार एजेंसी IRNA ने शुक्रवार को बताया कि वार्ता के बाद ईरान व सऊदी अरब 2 महीनों के भीतर ही अपने राजनयिक रिश्तों को पुनः बहाल करते हुए दोनों देशों में अपने अपने दूतावासों को फ़िर से खोलने के लिये सहमत हो गये हैं। (Reconciliation in Arab and Iran)
उधर ईरान के सरकारी टेलिविज़न ‘नूर न्यूज़’ ने भी कुछ ऐसी वीडियोज़ और तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिसमें चीन में सऊदी अरब और ईरान के नेताओं की मीटिंग होना देखा जा सता है। इन तस्वीरों में ईरान के सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी अली शामख़ानी को सऊदी अरब के एक अधिकारी व चीन के अधिकारी को एक साथ दिखाया गया है। (Reconciliation in Arab and Iran)
उधर सऊदी अरब की सरकारी एजेंसी SPA ने भी दोनों देशों के बीच समझौते होने की पुष्टि की है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार सऊदी एजेंसी SPA ने सऊदी अरब और ईरान के संयुक्त बयान को भी प्रकाशित किया है, जिस में कहा गया है कि “दोनों देश (ईरान और सऊदी अरब) एक दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करने व एक दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर सहमत हो गये हैं।” (Reconciliation in Arab and Iran)
बता दें कि सऊदी अरब और ईरान के बीच एक लम्बे समय से तनाव चला आ रहा है। इन मध्य-पूर्व के दोनों शक्तिशाली एक दूसरे के पड़ोसी देशों के बीच क्षेत्रीय प्रभुत्व और धार्मिक मतभेद होने के चलते लम्बे समय से तनाव देखा जा रहा है। क्योंकि एक ओर ईरान जहाँ शिया मुस्लिम बाहुल्य देश है तो वहीं सऊदी अरब सुन्नी मुस्लिम विचारधारा को मान्य वाला देश है। (Reconciliation in Arab and Iran)
विदित हो कि सऊदी अरब ने वर्ष- 2016 में एक प्रमुख शिया धर्मगुरु को फाँसी की सज़ा दे दी थी। जिसके बाद ईरान में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ एक बड़ी हिंसा भड़क गयी थी। ईरान में सऊदी अरब के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने सऊदी अरब के राजनयिकों पर हमले कर दिये थे। जिसके बाद दोनों के बीच राजनयिक सम्बन्ध ख़त्म हो गये थे। (Reconciliation in Arab and Iran)
उधर सऊदी अरब और ईरान के बीच राजनयिक रिश्तों की बहाली की घोषणा के बाद इज़राइल टेंशन में आ गया है। इज़रायल के पूर्व प्रधानमन्त्री नेफताली बेनेट ईरान और सऊदी अरब के बीच रिश्तों की बहाली से बेहद नाराज़ हैं। उन्होंने इसके लिये सीधे तौर पर बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार को दोषी ठहराया है। (Reconciliation in Arab and Iran)
क्योंकि सऊदी अरब और इज़रायल के बीच वैसे तो कोई ख़ास अच्छे राजनयिक रिश्ते नहीं, लेकिन इज़राइल बावजूद इसके खाड़ी देशों के साथ मिलकर ईरान के विरुद्ध एक गठबन्धन बनाने के फ़िराक़ में लगा है। हालाँकि सऊदी अरब भी अभी तक तो इज़राइल के साथ ईरान विरोधी प्रयास में खड़ा रहा है। लेकिन अब ईरान और अरब के बीच सुधरते संबंधों से इज़राइल को बड़ा झटका लगा है। (Reconciliation in Arab and Iran)
חידוש היחסים בין סעודיה לאיראן הוא התפתחות חמורה ומסוכנת לישראל ומהווה ניצחון מדיני לאיראן.
מדובר בפגיעה אנושה במאמץ לבניית קואליציה אזורית למול איראן.
זהו כישלון מהדהד של ממשלת נתניהו ונובע משילוב של הזנחה מדינית עם חולשה כללית וסכסוך פנימי במדינה. >> pic.twitter.com/owPw1k1byE
— Naftali Bennett בנט (@naftalibennett) March 10, 2023
इसलिये इज़राइल के पूर्व प्रधानमंत्री नेफताली बेनेट ने एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि “सऊदी अरब व ईरान के बीच फ़िर से सुधरते रिश्ते इज़रायल के लिये चिंताजनक और ख़तरनाक बात है, और ईरान के लिये यह एक राजनीतिक जीत है।.. यह इज़राइल द्वारा ईरान के विरुद्ध क्षेत्रीय गठबन्धन बनाने के प्रयास के लिये एक बड़ा झटका है। जो कि नेतन्याहू सरकार की बड़ी विफ़लता है।”
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