Supreme Court to Hear Demonetisation: नोटबंदी मामले की सुनवायी को सुप्रीम कोर्ट हुआ तैयार, कोर्ट ने कहा हमें पता है लक्ष्मण रेखा कहाँ है? लेकिन नोटबन्दी के निर्णय की जाँच तो करनी ही होगी

Supreme Court to Hear Demonetisation: नोटबंदी मामले की सुनवायी को सुप्रीम कोर्ट हुआ तैयार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमें पता है लक्ष्मण रेखा कहाँ है? लेकिन नोटबन्दी के निर्णय की जाँच तो करनी ही होगी

 

नई दिल्ली: Supreme Court to Hear Demonetisation- भारत में 8 नवम्बर 2016 में हुई नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवायी करते हुए देश की शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने कहा है कि “उसे पता है कि केन्द्र सरकार के नीतिगत निर्णयों में लक्ष्मण रेखा कहाँ है? लेकिन इस निर्णय की जाँच तो अवश्य ही करनी ही होगी।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “वर्ष-2016 में केन्द्र सरकार द्वारा की गयी नोटबन्दी के निर्णय की जाँच इसलिये ज़रूरी है.. ताकि यह तय हो सके कि क्या यह नोटबन्दी का मुद्दा महज़ एक एकेडमिक एक्सरजाइज़ बन गया है?” जस्टिस एस.ए. नज़ीर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने नोटबन्दी मामले की आज बुधवार को सुनवायी के दौरान कहा कि “यह कोर्ट की ज़िम्मेदारी है कि वह इस बात का जबाव दे।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह बात तब कही जब सुनवायी के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी ने कहा कि “जब तक नोटबन्दी पर बने क़ानून को एक व्यवस्थित तरीक़े से चुनौती नहीं दी जाती है, तब तक यह मुद्दा एकेडेमिक ही रहेगा।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “यह तय करने के लिये.. कि यह नोटबन्दी का निर्णय अकादमिक है या नहीं है..कोर्ट को इस मामले की जाँच करने की ज़रूरत है।” (Supreme Court to Hear Demonetisation)

सुप्रीम कोर्ट की इस संविधान बेंच में जस्टिस बी.आर गवई, जस्टिस ए.एस बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रहमण्यम व जस्टिस बी.वी. नागार्थ भी शामिल हैं। वहीं केन्द्र सरकार की ओर से हाजिर हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील देते हुए कहा कि “अकादमिक मुद्दों पर अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहिये।”

लेकिन तुषार मेहता के इस बयान पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने आपत्ति जताते हुए कहा कि “वे तुषार मेहता द्वारा व्यर्थ शब्द के प्रयोग पर हैरान हैं। क्योंकि इससे पूर्व की बेंच ने ही कहा था कि “यह नोटबन्दी का मुद्दा संविधान पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिये।” (Supreme Court to Hear Demonetisation)

वहीं एक दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से हाजिर हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि “यह (नोटबन्दी) मुद्दा अकादमिक है या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट को निर्णय लेना चाहिये।”पी. चिदंबरम ने कहा कि “इस प्रकार से नोटबन्दी करने के लिये संसद से एक अलग क़ानून बनना चाहये।”

विदित हो कि भारत में नोटबन्दी 8 नवम्बर 2016 हुई थी। उस समय नोटबन्दी को दी गयी चुनौती के इस मामले की सुनवायी करते हुए तत्कालीन चीफ़ जस्टिस टी.एस. ठाकुर ने इस मुद्दे को बड़ी बेंच को भेजने की बात कहते हुए कहा था कि “इस मामले में कोर्ट की 5 जजों की बड़ी बेंच ही अधिकारिक निर्णय सुना सकती है।”
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