Last updated on 2023-07-20
तो क्या 5 मई को आगरा की धर्म संसद में होगा भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित? इन संत महाराज ने इसी दिन ताजमहल में शिव की मूर्ति रखने का किया दावा-Taj Mahal Controversy
आगरा : Taj Mahal Controversy- ताजमहल के अन्दर घुसने से रोके जाने के बाद अब अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने ऐलान किया है कि वह 5 मई को आगरा में एक धर्म संसद आयोजित करेंगे जिसमें वहाँ से भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाएगा और साथ ही 5 मई को ताजमहल के अन्दर शिव की प्रतिमा स्थापित की जायेगी। संत परमहंस आचार्य ने इस दिन हिन्दू संगठनों और हिन्दुत्व समर्थकों लोगों से अधिक से अधिक संख्या में पहुँचने का आह्वान किया है। (Taj Mahal Controversy)
बता दें कि यें वही संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य हैं जिन्होंने कुछ समय पहले एक निश्चित तारीख़ तक सरकार द्वारा भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित न किये जाने पर जल समाधि लेने का ऐलान किया था लेकिन उस दिन न भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित हुआ न किसी ने जल समाधि ली। अब इसी संत परमहंस आचार्य को 27 अप्रैल को आगरा की विश्व प्रसिद्ध इमारत ताजमहल में भगवा वस्त्र में ताजमहल के भीतर प्रवेश नहीं दिये जाने का दावा करने वाले एक वीडियो में सामने आया है कि संत परमहंस आचार्य ने 5 मई को पुनः ताजमहल में जाने की बात कही है। और इस वीडियो में आगरा में धर्म संसद आयोजित करने की घोषणा भी की गई है। (Taj Mahal Controversy)
वीडियो में परमहंस आचार्य ने कहा कि “वे (5 मई को) संविधान का पालन करते हुए भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करेंगे और ताजमहल के अन्दर भगवान शिव की प्रतिमा भी स्थापित करेंगे।” हालांकि इस सम्बन्द में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी एएसआई अधीक्षक राजकुमार पटेल ने इस बात का खंडन करते हुए कहा था कि “संत को भगवा वस्त्र पहने होने के वजह से नहीं ताजमहल में प्रवेश करने से रोका गया था।” अधिकारी ने कहा “मैंने उन (संत परमहंस आचार्य) से बात की और ख़ुद ताजमहल आने के लिये आमंत्रित किया है।” (Taj Mahal Controversy)
आपको बता दें कि हाल ही में इन संत का एक वीडियो वायरल हुआ है जिस में संत परमहंस आचार्य ने अपना परिचय अयोध्या स्थित तपस्विनी चवणी पीठाधीश्वर के जगद्गुरु परमहंसाचार्य के तौर पर दिया है, और साथ ही दावा किया है कि ‘ताजमहल’ वास्तव में ‘तेजो महालय’ है। उन्होंने मक़बरे के संबंध में दावा किया है कि जिसे मुग़ल ताजमहल कहा जाता है वह वास्तव में तेजो महालय हैं और इसे इतिहास में ग़लत ढंग से पेश किया गया है।” (Taj Mahal Controversy)
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