सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिया जवाब, कहा ‘CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस लिए वापस’-UP Govt’s reply in SC on CAA protest
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कोर्ट के अल्टीमेटम जारी करने के बाद यूपी सरकार ने अब अपना जवाब दाख़िल कर दिया है। यूपी सरकार (UP Government) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध जारी हुए सभी कारण बताओ नोटिस वापस ले लिये गये हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में CAA विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक सम्पत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी वसूली नोटिसों को रद्द करने की माँग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को अल्टीमेटम दिया हुआ था। सुप्रीम कोर्ट के इस अल्टीमेटम को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
आपको बता दें कि CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों के इस मामले की सुनवाई करते हुए देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Coart) ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को कारण बताओ नोटिसों को रद्द करने के आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने दिसम्बर 2019 में CAA विरोधी प्रदर्शनों में शामिल लोगों से सम्पत्ति को हानि पहुँचाने के अगेंस्ट धन की वसूली के मामले में यूपी सरकार (UP Government) को कठघरे में खड़ा किया था। न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति सूर्यकान्त की पीठ ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से कार्यवाही वापस लेने के लिए एक अन्तिम अवसर देने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “यदि राज्य सरकार कारण बताओ नोटिस को वापस नहीं लेती है तो वह खुद इस कार्यवाही को रद्द कर देगी।” सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 18 फरवरी 2022 तक का समय दिया था।
विदित हो कि वर्ष- 2019 में CAA के विरोध में राज्य के कई शहरों में CAA विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कुछ सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। जिस के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दंगाईयों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्यवाही करते हुये प्रदर्शनकारियों की तस्वीरों को चौराहों आदि सार्वजिनक स्थानों पर लगाया लगाया था और राज्य सरकार ने इस नुकसान की भरपायी के लिए प्रदर्शनकारियों को नोटिस भी जारी किये थे। इन नोटिसों के विरोध में ही परवेज़, आरिफ़ टीटू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इन नोटिस को रद्द करने वाली एक याचिका दायर की थी।