
Uttar Pradesh Muslims: यूपी के मुसलमान डरकर नहीं बल्कि इन कारणों से बिना किसी विरोध के स्वीकार कर रहे हैं योगी सरकार के हर फ़ैसले को?
उत्तर प्रदेश : Uttar Pradesh Muslims
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों में रोज़ाना दुआ के साथ-साथ National Anthem यानि राष्ट्रगान गाना अनिवार्य कर दिया है। और यह आदेश 12 मई-2022 से लागू भी हो चुका है। विशेष बात यह है कि प्रदेश के मुसलमानों ने बिना किसी आपत्ति और बिना विरोध के इस आदेश अथवा फ़ैसले को मान भी लिया है। योगी के इस फ़ैसले पर देश के किसी भी इस्लामिक संगठन या मुस्लिम धर्मगुरु ने इस फ़ैसले पर कोई ऐतराज़ नहीं जताया है।
इसके अलावा चाहे मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की बात हो या मस्जिदों में जगह भरने पर ईद और जुमा की नमाज़ के सड़कों पर पढ़ने पर लगायी गयी पाबन्दी का मामला हो, मुस्लिमों ने बिना विरोध के योगी सरकार के हर आदेश का न सिर्फ़ पालन किया है, बल्कि सरकार के इस क़दम की सराहना की है। लेकिन जिस तरह बिना किसी आपत्ति के मुस्लिमों द्वारा योगी सरकार के हर आदेश हो रहा है। (Uttar Pradesh Muslims)
ऐसे में अब कई प्रश्न उठने लगे है। जैसे कि क्या उत्तर प्रदेश की राजनीति बदल रही है? क्या उत्तर प्रदेश में योगी सरकार और के बीच तल्खी कम हो रही है? या कहीं ऐसा तो नहीं कि मुसलमानों ने परिस्थितियों से समझौता करना शुरु कर दिया है? एक बड़ा और अहम प्रश्न यह भी उठता है कि जो मुसलमान योगी सरकार प्रथम में योगी आदित्यनाथ का विरोध करते दिखते थे, अब वही मुसलमान योगी सरकार-2 में सरकार के हर फ़ैसले का बिना किसी आपत्ति और बिना विरोध के स्वीकार कर रहे हैं।
• मदरसों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता पर मुस्लिमों का नज़रिया- मदरसों में राष्ट्रगान के अनिवार्य करने के योगी सरकार के फ़ैसले को मुस्लिमों ने यह कहकर सहर्ष स्वीकार कर लिया कि क़ौमी तराना है, वे इसका सम्मान करते हैं। और इस मे ऐसा कोई शब्द नहीं है जिससे मुसलमानों को किसी प्रकार का ऐतराज़ हो।मुसलमानों का कहना है कि उनके मदरसों में यूँ तो पहले ही से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वो पर राष्ट्रगान गाया ही जाता आ रहा है। (Uttar Pradesh Muslims)
मुस्लिमों के अनुसार “अब अगर सरकार रोज़ाना राष्ट्रगान की पाबन्दी करने की बात कह रही है तो वे प्रतिदिन अपनी हस्बे मामूल दुआ के साथ राष्ट्रगान भी लाज़मी कर देंगे।” आपको बता दें कि भारत के मुसलमानों ने कभी भी राष्ट्रगान का विरोध नहीं किया है सिवाय राष्ट्रीय गीत के,राष्ट्रीय गीत का विरोध भी मुसलमानों द्वारा विरोध न किया जाता अगर अपने भारत देश के नाम का मानवीयकरण न करते हुए भारत को माता के मूर्त रूप में न पूजा जाता। लेकिन राष्ट्रीय गीत में ख़ुदा के सिवा और किसी दूसरी चीज़ को सजदा करने की बात आती है। जबकि इस्लाम में ख़ुदा के सिवा किसी को भी सजदा करने की इज़ाजत नहीं है।
• मुस्लिमों द्वारा लाउडस्पीकर के फ़ैसले की सराहना-जैसे कि इससे पहले प्रदेश सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर को लेकर आदेश आया था, इस आदेश को लेकर भी प्रदेश के मुसलमानो ने योगी सरकार की निष्पक्ष नीति मानते हुए ख़ूब सराहना की थी। क्योंकि जिस प्रकार लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र में MNS प्रमुख राज ठाकरे द्वारा सिर्फ़ मस्जिदों के लाउडस्पीकरों को लेकर राजनीति शुरु हुई थी। (Uttar Pradesh Muslims)
इसी पूर्वाग्रह के चलते उत्तर प्रदेश का मुसलमान सोच रहा था कि हो सकता है योगी सरकार का यह आदेश मस्जिदों तक ही सीमित हो? लेकिन ऐसा नहीं हुआ। योगी सरकार का लाउडस्पीकर को लेकर आदेश सभी धार्मिक स्थलों के लिये आया, और उत्तर प्रदेश में इस लाउडस्पीकर के फ़ैसले के बाद लगभग 1 लाख से अधिक धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाये गये जिसमें किसी धर्म के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया।
• मुस्लिमों ने सड़क पर ईद की नमाज़ पर भी किया अमल– हाल ही में रमज़ान में अलविदा जुमे की नमाज़ से ठीक पहले आये योगी सरकार के सड़कों पर नमाज़ न पढ़ने के आदेश पर भी प्रदेश के मुसलमानों ने अमल करते हुए इसका स्वागत किया। और इस बार सभी प्रदेश की सभी मस्जिदों के अन्दर-अन्दर ही अलविदा जुमा सहित ईद की नमाज़े अदा की गई। (Uttar Pradesh Muslims)
बहुत सी मस्जिदों में जहाँ ज़रूरी हुआ वहाँ कई शिफ्टों में ईद की नमाज़ अदा हुई लेकिन हुई मस्जिदों के भीतर ही। किसी ने भी कहीं भी सड़कों पर नमाज़ अदा नहीं की। हो सकता है इस बार मुसलमानों को इस बहाने से सड़कों पर होने वाले धार्मिक आयोजनों से होने वाली जन परेशानियों का अहसास हुआ हो?
• बाबा के बुलडोज़र की कार्यवाही की निष्पक्षता– आजकल अवैध सम्पत्तियों के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में योगी बाबा के बुलडोज़र की कार्यवाही की गूँज उत्तर प्रदेश से बाहर कई राज्यों में पहुँच चुकी है। लेकिन गुजरात, उत्तर प्रदेश के बाबा के बुलडोज़र,और मध्यप्रदेश के मामा के बुलडोज़रों की कार्यप्रणाली में काफ़ी अंतर देखा जा रहा है। जहाँ गुजरात और मध्यप्रदेश में बुलडोज़र एक विशेष समाज को निशाना बना रहें हैं तो उत्तर प्रदेश में योगी बाबा का बुलडोज़र पूरी निष्पक्षता के साथ अपराधियों के ख़िलाफ़ चल रहा है। अगर बाबा का बुलडोज़र मात्र मुस्लिम समाज के ख़िलाफ़ चलता तो संभवतः मुसलमानों को ऐतराज़ होता, लेकिन ऐसा नहीं है।
• क्या अब बीजेपी के प्रति मुसलमानों का नज़रिया में बदल रहा?
यूपी चुनाव-2022 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के प्रचंड बहुमत से जीत के बाद उत्तर प्रदेश में सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में काफ़ी बदलाव आया है। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में बसपा ने मात्र चुनाव लड़ने की औपचारिकता पूरी करते हुए बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाया है इस बात से प्रदेश का बसपा के साथ बचा थोड़ा बहुत मुस्लिम समाज भी छिटक गया।वहीं इस बार मुसलमानों ने एडी से लेकर चोटी तक का ज़ोर समाजवादी पार्टी को जिताने में लगाया, लेकिन फ़िर भी सपा कोई ख़ास परफॉर्मेंस नहीं दिखा पायी। (Uttar Pradesh Muslims)
यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के बाद योगी के दोबारा सत्ता में आने के बाद ऐसा लगने लगा है कि उत्तर प्रदेश से बीजेपी काफ़ी समय तक सत्ता से बाहर होने वाली नहीं है। भाजपा का विरोध करने वाली प्रदेश की एक बड़ी पार्टी बसपा तो चुनाव से पहले ही मैदान छोड़ चुकी थी और दूसरी समाजवादी पार्टी चुनावी मैदान में बीजेपी से साथ लड़ी भी अच्छी लेकिन अब मुसलमानों का इन दोनों ही पार्टियों से मोह भंग सा होने लगा है। (Uttar Pradesh Muslims)
इसलिए अब योगी की लाउडस्पीकर और बुलडोज़र की कार्यवाही की निष्पक्षता को देखते हुए मुस्लिम समाज ने भाजपा का विरोध करना बहुत कम कर दिया है। वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी मुसलमानों को यह हिदायत दी भी दी कि वे (मुसलमान) सियासत में किसी एक विशेष पार्टी के ही पल्लू में बंधकर न रहें, बल्कि अपने राजनीतिक विकल्प तलाशें। इन में भाजपा भी एक विकल्प के रूप में है।

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