Yusuf Malik NSA Case: यूपी में NSA का दुरूपयोग देखिये कि मामला था कर वसूली का और लगा दिया NSA, सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता यूसुफ़ मलिक केस में यूपी सरकार को लगाई फटकार
Yusuf Malik NSA Case: यूपी में NSA का दुरूपयोग देखिये कि मामला था कर वसूली का और लगा दिया NSA, सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता यूसुफ़ मलिक केस में यूपी सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली: Yusuf Malik NSA Case- उत्तर प्रदेश में क़ानून का राज क़ायम रखने के लिये प्रदेश की योगी सरकार को एनकाउंटर, बुलडोज़र और NSA जैसे कई कठोर क़दम उठाने पड़े, तब जाकर राज्य में कुछ शान्ति का माहौल बन पाया है। लेकिन अगर प्रदेश में क़ानून का राज स्थापित करने में क़ानून का ही दुरुपयोग होता है, तो यह चिन्ता का विषय है।
उत्तर प्रदेश के परिपेक्ष्य में कुछ ऐसी ही चिन्ता व्यक्त की देश की शीर्ष अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ने। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता यूसुफ़ मलिक पर NSA लगाने को लेकर प्रदेश सरकार को फ़टकार लगाते हुए यूसुफ़ मलिक पर NSA की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए बड़ी राहत दी है। (Yusuf Malik NSA Case)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बड़े हैरान हैं कि सम्पत्ति कर वसूली के मामलों में कैसे NSA लगाया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल व अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि यूसुफ़ मलिक के विरुद्ध की गयी NSA की कार्यवाही को हम रद्द करते हैं, और तत्काल (यूसुफ़ मलिक को) NSA से मुक्त करते हैं। (Yusuf Malik NSA Case)
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता यूसुफ़ मलिक के विरुद्ध राजस्व वसूली के मामले में अपर नगरायुक्त को धमकी देने के कथित मामले में NSA लगाने के निर्णय पर उत्तर प्रदेश सरकार को फ़टकार लगाते हुए कहा कि इस प्रकार से किसी पर NSA लगा देना क़ानून का दुरुपयोग है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि NSA को राजनीतिक प्रकृति के मामलों में लागू नहीं किया जाना चाहिये। (Yusuf Malik NSA Case)
जानिये क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार… दरअसल समाजवादी पार्टी के के नेता यूसुफ़ मलिक को बीते वर्ष अप्रैल महीने में NSA की धारा-3 (2) के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश पुलिस ने हिरासत में लिया था। यूसुफ़ मलिक के विरुद्ध सरकारी अधिकारियों को धमकाने व उनके रिश्तेदारों की सम्पत्ति के राजस्व की वसूली सहित सरकारी काम में बाधा डालने जैसी 2 एफआईआर दर्ज की गयी थी।
इस मामले में यूसुफ़ मलिक ने पहली बार गत वर्ष जुलाई माह में अपनी नज़रबन्दी के विरुद्ध इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख़ किया था, लेकिन उनकी याचिका पर फ़ैसला लेने में हाईकोर्ट की तरफ़ से देरी के चलते यूसुफ़ मलिक को सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाने के लिये मजबूर होना पड़ा था। (Yusuf Malik NSA Case)
उनके वकील ने तर्क दिया कि उन्हें झूठे मामलों में फँसाया गया और प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों पुलिस के हाथों राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हुए हैं। (Yusuf Malik NSA Case)
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